अंतरिक्ष पहुंचने वाले पहले इंसान पूर्व सोवियत संघ के यूरी गागरिन थे। 12 अप्रैल 1961 को सोवियत संघ के हीरो गागरिन अंतरिक्ष पहुंचे। तब से लेकर अब तक न जाने अंतरिक्ष में कितने मानवीय और रोबोटिक प्रयोग किए जा चुके हैं। जब गागरिन को अंतरिक्ष पहुंचाने वाला यान वोस्तोक रवाना हुआ, तो उनके पहले शब्द थे, पोयेखाली, यानी चलो, चलते हैं। वह एक ऐसी घड़ी थी, जब किसी को पता नहीं था कि अंतरिक्ष में भारहीनता की स्थिति में पहुंचने पर गागरिन को क्या होगा।
सोवियत वैज्ञानिकों को डर था कि गागरिन भारशून्यता की स्थिति में बेहोश हो सकते हैं। लेकिन अंतरिक्ष से ग्राउंड कंट्रोल को अपने संदेश में गागरिन ने कहा कि भारशून्यता की स्थिति उन्हें अच्छी लग रही है। मिशन के दौरान गागरिन ने अपनी बहादुरी और समझ की मिसाल पेश की। एक मौके पर गागरिन से अंतरिक्ष में कहा गया कि वह टेप फाड़कर एक पुर्जे को जोड़ें, क्योंकि जमीन पर इंजीनीयर उसे जोड़ना भूल गये थे। एक और बार उनसे कंट्रोल पैनल में लगी कॉन्टैक्ट की बत्ती को ठीक करने को कहा गया। क्योंकि इसकी वजह से काफी समस्याएं हो सकती थीं।
लेकिन गागरिन ने बहादुरी के साथ इनको संभाला और उड़ान के दौरान बच्चों सी खुशी के साथ वह बताते रहे कि उन्हें क्या क्या दिख रहा है। गागरिन अंतरिक्ष की यात्रा कर दुनिया भर में हीरो बन चुके थे। गागरिन को ऑर्डर ऑफ लेनिन और सोवियत संघ के हीरो के सम्मान से सम्मानित किया गया। गागरिन के सम्मान में पूरे सोवियत संघ में स्मारक बनाए गए और सड़कें उनके नाम पर कर दी गईं। अंतरिक्ष में सोवियत संघ पहला इंसान भेज कर अमेरिका को तगड़ा झटका दे चुका था।