महायोगी पायलट बाबा
अभी हाल में काठमांडू भ्रमण में था। वहाँ के एक पॉपुलर गुरु के निमंत्रण पर उनके आश्रम पहुँचा। मेरे पुराने परिचित है।
संयोग से उनके आश्रम में नेपाल सरकार के किसी प्रतिष्ठान से २०–२५ लोगों का समूह तीन दिवसीय आवासीय ध्यान शिविर में ध्यान एवं सदाचार सीखने आया था।
हाँ, अब यह फैसन में आ चुका है कि किसी गुरु के आश्रम जा तीन अथवा कुछ अधिक दिन ध्यान सत्संग के वातावरण में रह ध्यान–सदाचार–जीवन जीने का ढंग सीखा–सिखाया जा रहा है। सरकारी– अर्ध सरकारी एवं व्यापारिक प्रतिष्ठान अपने कर्मचारियों को 'मोटिभेट' करने अथवा करवाने के लिए खर्च करने लगे है।
एक पुराना किस्सा– नेपाल के राजा बीरेंद्र के परिवार की हत्या के बाद उनके भाई ज्ञानेंद्र राजा बनें। शीघ्र ही राजा बने ज्ञानेंद्र ने पूर्ण सत्ता हथिया ली और अपने मन मुताबिक सरकार बनाई। उनकी सरकार में अर्थमंत्री बने डाक्टर रूप ज्योति विपासना के आचार्य थें। नेपाल के कुछ अभियंताओं ने जब भारत के विपासना केंद्र से जब इस बारे में बात की तो जबाब आया– वह आचार्य के पद को त्याग कर मंत्री बने हैं।
इन साहेब ने अर्थ मंत्री बन सबसे पहले अपने पारिवारिक प्रतिष्ठान ज्योति ग्रुप को अर्थ मंत्रालय से सहायता राशि प्रदान कर भ्रष्टाचार की शुरुवात की ।
मंत्री पद जाते ही इन्होने पुनः आचार्य का पद ग्रहण किया।
लोग सदाचार सीखने के लिए विपासना जाते है ! अरे भई ३०–४० वर्षों से विपासना कर रहे एवं करवा रहे व्यक्तियों के चरित्र से भी तो कुछ सीख लो। आचार्य रूप ज्योति का आचरण एवं व्यवहार विपासना साधकों के लिए अध्ययन की सामाग्री है।
धर्मशास्त्र अध्ययन– ध्यान– साधना– योग अभ्यास आपको ईमानदार– सदाचारी नहीं बना सकता! इसके लिए विधि का शासन– नियम, कानून, अपराध और दंड का विधान ही काम आएगा न कि किसी आश्रम में जा प्राणायाम अथवा सुख आसन में बैठने से काम चलेगा।
मैं जिस दिन आश्रम पहुँचा था वह आवासीय शिविर का अंतिम दिन था। गुरूजी ने मुझे भी मेडिटेसन हाल में चलने का आग्रह किया। यह अंतिम सेसन प्रश्नोत्तर का कार्यक्रम था।
वहाँ पर प्रश्न और उत्तर के नाम पर जो 'सी ग्रेड' फिल्म चली, सच पूछिए वहाँ सिगरेट फूँकने की छूट होती तो मैं १०–१२ सिगरेट खर्च कर देता।
बात सिर्फ इसी आश्रम अथवा इन्ही गुरूजी की नहीं हैं जो भी आश्रम, गुरु, मोटिभेटर एवं तथानाम के 'बिग शाट' कारपोरेट ढंग से अपना व्यवसाय चला रहे है वहाँ इस प्रकार के सस्ते एवं फूहड़ नाटक मंचन के अलावा और कुछ हो ही नहीं सकता।
गुरुओं के पास एक 'सेलेबस' होता है रटे रटायें जबाब होते हैं। आधुनिक दौर के ऐसे ध्यान शिविर अथवा बहु प्रचारित शब्द 'रिट्रीट'का लाभ मस्ती भरी छुट्टी बिताना तो हो सकता है मगर इससे ज्यादा की उम्मीद लेकर गए व्यक्ति को निराशा ही हाथ लगती है।
मैंने स्वयं के २० वर्षों के यायावर जीवन के अनुभव से जाना है कि ध्यान करने की चीज ही नहीं है। किन्ही उपायों से, किन्हीं विधियों से, किन्हीं शास्त्र निर्देशित सूचनाओं से अथवा आधुनिक युग में विभिन्न व्यक्तियों (सो काल्ड इन लाइटेंड मास्टर्स) द्वारा प्रतिपादित की गयीं तमाम टेक्निकों से ध्यान नहीं जाना जा सकता है अथवा ध्यान में प्रवेश नहीं किया जा सकता है।
'जिन्होंने भी ध्यान अभ्यास करने का यत्न किया होगा वह जानते हैं कि, उन्हें अनुभव में आता है जैसे ही वह ध्यान में बैठने का उपक्रम करते हैं। आँखे बंद करते ही अनेकोँ– अनेकोँ विचार दौड़ने लगते है। उन्हें आश्चर्य होता है यह क्या हो रहा है'?
इसका जबाब आपको हैरत में डाल देगा। जिस दिन बात आपकी समझ में आएगी आप यूरेका– यूरेका बोल पड़ेंगें। कहने को तो यह बात दो लाइनों में लिखकर यहीं कही जा सकती है लेकिन विडम्बना वहीं रहेगी , बात आपके मस्तिष्क में घुसेंगी ही नहीं।
'ध्यान अक्रिया है इसे क्रिया द्वारा प्राप्त नहीं किया जा सकता ! हाँ, क्रियाओं का महत्व बश इतना है कि यह एक तरीके से पृष्ठभूमि निर्मित कर देतीं हैं। इस मामले में कृष्णमूर्ति सा शिक्षक कोई नहीं हुआ। लेकिन कृष्णमूर्ति को पढ़ना और समझना सबके बश की बात नहीं है'।
ध्यान में बैठते ही जो आपके संज्ञान में आता है कि विचारों का अनवरत प्रवाह आपमें चल रहा है। वास्तव में विचारों का यह प्रवाह आपके साथ हमेशा बना रहता है। ऐसा नहीं है कि ध्यान में बैठते ही विचारों का प्रवाह कहीं बाहर से आकर आक्रमण करता है वरन यह हमेशा आपके जेहन में चलता रहता है। ऐसा भी नहीं है कि जब आप किसी से बोलते है तभी आप बोल रहे होते है। सच तो यह है आप हरदम अपने आप में, अपने आप से बोलते रहते है। विचारों का प्रवाह हरदम चलता रहता है। जब ध्यान में बैठने का उपक्रम करते है तो यह बात संज्ञान में आती है।
महायोगी पायलट बाबा कहते है– ध्यान करने की चीज नहीं वरन समझने की चीज है जिस दिन बात समझ में उतर जाएगी चुटकी भर में आप रूपांतरित हो जायेंगें। मन सूक्ष्म जगत की धरोहर है भौतिक जगत की किन्हीं भी शारीरिक क्रियाओं से यह पृथक रहता है। मन का एक अलग विज्ञान, एक अलग संरचना, एक अलग कार्य प्रणाली
है। इसे समझना होगा, इसे भेदना होगा।
'संसार तो है, संसार रहेगा। संसार के सारे कार्य व्यापार रहेंगे। संसार रहेगा तभी आप रहेंगें। कीमिया यह है संसार में रहते हुए , संसार के तमाम उलझनों एवं झंझटों के बीच ही रहते हुए आपको इनसे पृथक रहने की कला सीखनी है। संसार का अतिक्रमण करना संभव नहीं है। आप जहाँ भी जायेंगें संसार आपके साथ बना रहेगा। संसार ने आपसे सम्बन्ध नहीं बनाया है, संसार ने आपको नहीं पकड़ा है। आपने संसार से सम्बन्ध बनाया है आप ही संसार को पकडे हुए है। इसलिए संसार में रहते हुए संसार से पृथक होने की कला अथवा संसार से बने प्रगाढ़ पकड़ को ढीला करने का उपाय आपको ही करना होगा'।
इन्ही पायलट बाबा की ५ दिवसीय 'योग सैद्धांतिक समझ कक्षा' नेपाल के चितवन जिले में होने जा रही है। चितवन नेशनल पार्क के नजदीक बने लेक ट्वेंटी थाउजेंड रिसोर्ट एंड फार्म हाउस में आगामी नोवेम्बर २४ से २८ तक उनकी यह इंटरनेसनल क्लास चलेगी। रिसोर्ट व्यवस्थापन के अनुसार कक्षा में अधिकतम १२० सहभागियों को सम्मिलित किया जाएगा। अभी तक रूस, यूक्रेन, जर्मन, जापान– अमेरिका, भारत आदि देशों के लगभग ५० लोगों ने बुकिंग करा ली है।
योग क्लास के सम्बन्ध में पायलट बाबा कहते है– बेटा, इस योग क्लास के दौरान मैं 'एम्पटी वैसेल' ( पोंगल बाँस ) बन जाता हूँ। हिमालय की दिव्य आत्माएं मेरे माध्यम से संवाद करती है। अनेकोँ दिव्य आत्माएं मेरे माध्यम से योग–ध्यान, जीवन–जगत से सम्बंधित गूढ़ रहस्य उद्घाटित करती है।
८६ वर्ष की आयु में बाबा अनवरत रूप से सक्रिय है। देश–विदेश भ्रमण कर रहे हैं। सेप्टेम्बर माह में वह रूस का १५ दिन भ्रमण कर लौटें है। नोवेम्बर में ८–१० दिनों के लिए नेपाल जा रहे हैं। जनवरी २०२४ में बाबा १०–१२ दिनों के लिए सोमनाथ, गुजरात में रहेंगे।
बाबा इस आयु में इतनी यात्राएं, इतनी सक्रियता क्यों, पूछने पर जबाब मिलता है– समय और आयु का क्या! यह अपनी नियमितता से चलती रहेंगीं। मेरा प्रयास यह है कि मैं २–४ व्यक्तिओं को भी जगा सकूँ, उन्हें उनके वास्तविक स्वरुप का दर्शन–बोध करा सकूँ। रटे रटाये शब्द साक्षी भाव–बोध–बी इन प्रजेंस (वर्तमान में जीना)–बी हियर एंड नाउ–स्टाप द माइंड–विचार शून्यता आदि पर चर्चा करने से कोई लाभ नहीं। आपको इसका अनुभव करना होगा। वर्तमान में होने–जीने का रहस्य भेदन करना होगा। जिस दिन आप इसे अनुभव करेंगे आपको आश्चर्य।
होगा यह तो कोई अप्राप्त वस्तु अथवा अवस्था नहीं थी। आपके और इस अवस्था के बीच क्षणिक अंतराल भी तो नहीं था। आप ही बेसुध जी रहे थे, जिस दिन जागेंगे जान जायेंगें– सुध भी आप है बेसुधी भी आप ही है।
नेपाल में पहली बार पायलट बाबा की 'योग सैद्धांतिक समझ कक्षा' होने जा रही है। नेपाल के लिए यह गौरव की बात है। बाबाजी के साथ परम शिष्याद्वय योग चेतना माता और योग श्रद्धा माता भी नेपाल आ रही हैं।