प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को विपक्षी सांसदों सेअपील की कि वे संसद को पराजय का गुस्सा निकालने का मंच न बनाएं और नकारात्मकता एवं नफरत छोड़ कर सकारात्मक विचार के साथ आएं। विपक्ष देश को 2047 तक विकसित भारत बनाने के लिए जनता की आकांक्षा को पूरा करने में सहयोग करे। श्री मोदी संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत से पहले संसद भवन परिसर में मीडिया को दिए अपने वक्तव्य में चार राज्यों के चुनावी परिणामों को नकारात्मकता के विरुद्ध जनादेश बताते हुए कहा कि रविवार को ही चार राज्यों के चुनाव नतीजे आए हैं। बहुत ही उत्साहवर्धक परिणाम आए हैं। ये उनके लिए उत्साहवर्धक हैं, जो देश के सामान्य मानवी के कल्याण के लिए, देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए समर्पित हैं। उन्होंने कहा कि इतने उत्तम जनादेश के बाद हम संसद के इस नए मंदिर में मिल रहे हैं। जब इस नए परिसर का उद्घाटन हुआ था, तो उस समय एक छोटा सा सत्र था और एक ऐतिहासिक निर्णय हुआ था। लेकिन इस बार लंबे समय तक इस सदन में कार्य करने का अवसर मिलेगा। श्री मोदी ने कहा कि देश ने नकारात्मकता को नकारा है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र का यह मंदिर जन आकांक्षाओं के लिए, विकसित भारत की नींव को अधिक मजबूत बनाने के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण मंच है।
मेरा सभी माननीय सांसदों से आग्रह है कि वे ज्यादा से ज्यादा तैयारी कर के आएं और सदन में जो भी विधेयक रखे जाएं, उन पर गहन चर्चा हो। श्री मोदी ने कहा कि अगर मैं वर्तमान चुनाव नतीजों के आधार पर कहूं, तो ये विपक्ष में बैठे हुए साथियों के लिए स्वर्णिम अवसर है। इस सत्र में पराजय का गुस्सा निकालने की योजना बनाने के बजाय, इस पराजय से सीखकर पिछले नौ साल में चलाई गई नकारात्मकता की प्रवृत्ति को छोडक़र इस सत्र में अगर सकारात्मकता के साथ आगे बढ़ेंगे, तो देश उनकी तरफ देखने का दृष्टिकोण बदलेगा। उन्होंने सांसदों का आह्वान किया कि वे सकारात्मक विचार ले कर आएं। बाहर की पराजय का गुस्सा निकालने का मंच लोकतंत्र के मंदिर को न बनाएं। थोड़ा सा रुख बदलें और देशहित की बातों में साथ दें तो देश में फैल रही नफरत, मोहब्बत में बदल जाए। इसमें विपक्ष का भी भला है।