दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल शराब नीति केस में पूछताछ के लिए गुरुवार को जांच एजेंसी ईडी के सामने पेश नहीं हुए। इसके बदले केजरीवाल ने ईडी को एक लेटर भेजकर सम्मन को वापस लेने को कहा। साथ ही केजरीवाल ने जांच एजेंसी से सवाल किया कि आपने सम्मन में मुझे यह नहीं बताया कि मैं संदिग्ध हूं या गवाह। केजरीवाल ने आरोप लगाया कि यह सम्मन भाजपा के इशारे पर भेजा गया। केजरीवाल ने लिखा कि 30 अक्तूबर की दोपहर को भाजपा नेताओं ने कहना शुरू कर दिया था कि जल्द ही मुझे तलब किया जाएगा और अरेस्ट किया जाएगा। उसी दिन शाम को मुझे सम्मन मिला। इससे साफ जाहिर है कि मेरी छवि बदनाम करने के लिए सम्मन भाजपा नेताओं को पहले लीक कर दिया गया था।
उन्होंने आगे लिखा कि देश में पांच राज्य यानी मिजोरम, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना में जल्द ही चुनाव होने वाले हैं। आम आदमी पार्टी हर जगह चुनाव लड़ रही है। पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और स्टार प्रचारक होने के नाते मुझे चुनाव प्रचार के लिए यात्रा करनी है। दूसरी ओर मैं दिल्ली का मौजूदा मुख्यमंत्री हूं। दिवाली के त्योहार के चलते मेरे पास आधिकारिक तौर पर कई काम हैं। जहां मेरा होना जरूरी है। केजरीवाल ने लेटर के आखिर में ईडी से सम्मन को वापस लेने की मांग की। गौर हो कि ईडी ने 30 अक्तूबर को केजरीवाल को पूछताछ के लिए आने का सम्मन भेजा था। इसे लेकर सुबह करीब नौ बजे केजरीवाल ने ईडी को जवाब भेजा था। इसके बाद करीब साढ़े 11 बजे केजरीवाल अपने घर से एयरपोर्ट के लिए रवाना हो गए। जहां से पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ वह मध्य प्रदेश के सिंगरौली में रैली के लिए गए। ईडी के सूत्रों के मुताबिक, जांच एजेंसी अब केजरीवाल को नया सम्मन जारी कर सकती है।
अब क्या करेगी ईडी
ईडी फिर से अरविंद केजरीवाल को सम्मन भेज सकती है। कोई शख्स सिर्फ तीन बार ही ईडी के सम्मन को नजरअंदाज कर सकता है। सम्मन भेजने के बाद जांच एजेंसी गैर जमानती वारंट की मांग कर सकती है। गैर जमानती वारंट कोर्ट का आदेश होता है, जिस पर तय समय और तारीख पर पेश होना जरूरी होता है। अगर कोई गैर जमानती वारंट की बात नहीं मानता है, तो उसे गिरफ्तार किया जा सकता है और फिर कोर्ट में पेशी होगी।