कोरोना वायरस के चलते देश में लागू लॉकडाउन झारखंड के डेयरी किसानों के लिए भारी पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि सरकार जिस तरह से ज़रूरतमंदों को राशन दे रही है, वैसे ही किसानों को भी पशु आहार मुफ्त में मिलना चाहिए.
कोरोना वायरस का साया पूरी दुनिया के साथ-साथ भारत में भी घना होता जा रहा है. इसने वैश्विक अर्थव्यवस्था को तो जख्म दिया ही है, साथ ही इसकी वजह से भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था और भी गर्त में जाती नजर आ रही है.
वायरस से सुरक्षा के मद्देनजर देश में लागू 21 दिनों का लॉकडाउन डेयरी किसानों और खटाल चलाने वाले ग्वालों पर बहुत भारी पड़ रहा है.
हाल ये है कि गायों को खिलाने के लिए पशु आहार नहीं मिल रहा, यदि मिल भी रहा है तो दोगुने-तीन गुने कीमत पर. किसानों का कहना है कि अभी के दौर में जहां हम अपना पेट इतनी मुश्किल से चला पा रहे हैं वहां हम अपनी गायों को इतना महंगा खाना कहां से खिला पाएंगे.
डेयरी किसानों की समस्या को समझने के लिए हमने झारखंड के कुछ किसानों और खटाल चलाने वालों से बात की है.
रांची जिले के रातू प्रखंड के अंतर्गत आने वाले गुरु गडेयरी गांव में रहने वाले इंद्रदेव महतो एक डेयरी किसान हैं और चार सालों से 30 गायों की डेयरी चला रहे हैं. इनका घर डेयरी से आने वाले पैसों से चलता है.
जब हमने इनसे इस लॉकडाउन के दौरान आने वाली मुश्किलों के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया, ‘मेरी डेयरी में तकरीबन रोजाना 270 लीटर दूध उत्पादन होता है. जिसमें से कई लीटर दूध हर रोज बर्बाद हो रहा है या फिर 20 रुपये प्रति लीटर की दर से बेचना पड़ रहा है.’
इंद्रदेव अपना दूध मेधा डेयरी को दिया करते थे, लेकिन लॉकडाउन की वजह से बाजार में दूध की खपत कम हो गई है. मेधा डेयरी ने भी किसानों के लिए लिमिट लगा दी है. जहां पहले इंद्रदेव 250 से 260 लीटर दूध डेयरी को दिया करते थे अब वहीं 150 से 170 लीटर ही दे पा रहे हैं.