वसन्त लोहनी (काठमांडू)
हम जीते हैं आस्था बचाने के लिए भी
सिर्फ जीने के लिए ही नहीं
ठीक है, कातिलों घूमते रहते हैं क़ब्रिस्तान सजाने के खोजी में
इसका मतलब घर में ही हम बंद रहे
यह कैसे सलाह है आपकी?
बिल्कुल नामुमकिन है मेरे लिए
लगता है डर बहुत खा रहा है आपको
मैंने तो डर को बहुत पहले ही दूर छोड़ आया हूं
मेरी ताकत का वजह है मेरे दोस्ती
कातिलों क्या कर पाएंगे
जब मेरा दोस्त मेरे साथ है
तभी तो मैं तो सदा निर्भय हूं
जब तक मैं इस धरती में हूं
में सिर्फ बचने के लिए नहीं
बचाने के लिए जिंदा हूं
किसी भी हालत उस चिंगारी को
मैं बुझने नहीं दूंगा
मैंने कहा ना, मेरे दोस्त साथ है
जब से मैंने रोना सीखा
अपने जीवन बचाने के लिए
तब से मेरी दोस्ती उनसे हुई
क्या नहीं पूछेंगे आप
मेरे दोस्त की नाम ?
उसका नाम है- मृत्यु ।