23 मई 2019। दुनिया के सबसे बड़े आम चुनाव के नतीज आए। सत्तारूढ़ भाजपा को 303 सीटों पर फतह हासिल हुई। 30 मई 2019। नरेंद्र दामोदर दास मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। वह देश के पहले ऐसे गैरकांग्रेसी प्रधानमंत्री बने, जिन्होंने पांच साल सरकार चलाकर दूसरा कार्यकाल संभाला। यहीं से मोदी-2.0 सरकार का पहला साल या पहला सीजन शुरू हुआ है। अब शनिवार को मोदी सरकार-2.0 अपनी पहली सालगिरह मना रही।
हाल में मोदी सरकार ने आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए रिफॉर्म के 5 पिलर बताए थे। अब मोदी सरकार-2.0 के एक साल पूरे होने पर हम सरकार के कामकाज के 6 बड़े पिलर के परफार्मेंस का रिपोर्ट कार्ड जारी कर रहे हैं। कोविड-19 के दौर में इन 6 बड़े पिलर को परफार्मेंस के लिहाज से रेड, ग्रीन और ऑरेंज जोन में रख रहे हैं। पढ़े पूरी रिपोर्ट...
तीन महीने तक सीएए-एनआरसी के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन चला
1- मोदी सरकार की हमेशा से पहली प्राथमिकता गवर्नेंस यानी सुशासन रही है। लेकिन मोदी-2.0 सरकार के पहले साल में सीएए और एनआरसी के विरोध में देश में तीन महीने लंबा आंदोलन चला। असम से लेकर दिल्ली और कश्मीर से लेकर केरल तक प्रदर्शन हुए।
2- 15 दिसंबर की शाम हिंसा के बाद शाहीन बाग में जनता सड़क पर ही बैठ गई। ट्रैफिक बीच में न फंसे इसलिए कालिंदी कुंज रोड पर पुलिस ने बैरिकेड्स लगा दिए। यहीं से शाहीन बाग का आंदोलन शुरू हो गया।
3- इस धरने की चर्चा दुनियाभर में हुई। आखिरकार कोरोना की दहशत के बीच 24 मार्च को पुलिस ने शाहीन बाग के धरनास्थल को खाली करा दिया। जेएनयू, जामिया मिलिया इस्लामिया, एएमओयू में भी हिंसक प्रदर्शन हुए।
4- यूनाइटेड नेशंस से लेकर ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कंट्रीज (OIC) में सीएए को लेकर आवाज उठाई गई। लंदन से लेकर न्यूयॉर्क तक, बर्लिन से लेकर बर्न तक लोग NO CAA, NO NRC, NO NPR के बैनर-पोस्टर लेकर सड़कों पर उतरे।
5- 23 फरवरी को सीएए प्रदर्शन के बीच दिल्ली में साम्प्रदायिक दंगा भड़क गया। इन दंगों में 50 से ज्यादा लोगों की जान गई। पूर्वी दिल्ली में यह दंगा तीन दिन तक भड़क रहा। जब दंगा भड़का, उस वक्त अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भारत की यात्रा पर थे।