आओ कसम उठाऐं हम ऐसी अलख जगाने की।
प्रेम भावना भरकर दिल में नफरत दूर भगाने की।।
गौर से सोचो और समझो ये सृष्टि गई रचाई क्यों
ईश्वर के मन में सुन्दर अद्दभुत सोच ये आई क्यों
उन्होने सोचा होगा अकेले जाये खुशी मनाई क्यों
ऐसा लक्ष्य दुनिया अब तक कर न हासिल पाई क्यों
आओ कोशिश करें सभी हम इस लक्ष्य को पाने की।
आओ हम सब कसम उठाये...
जीव के प्रति नफरत देखकर खुदा दुखी होता है
आत्मा घायल होती उनकी अन्तर्मन भी रोता है
बैर भावना देख हमारी न रब भी चैन से सोता है
श्रेष्ट कहलाने वाला बीज नफरत के खुद बोता है
आओ अब सुरवात करें अपना फर्ज निभाने की।
आओ हम सब कसम उठाये...
सबसे पहले हमे हमारा फर्ज जानना ही होगा
मानव श्रेष्ट प्राणी जग का यह पहचानना ही होगा
कल्याण सभी का करना है दायित्व मानना ही होगा
सदमार्ग पर चलना सबको अभी से ठानना ही होगा
सबका करेे कल्याण जरुरत ऐसी मुहिम चलाने की।
आओ हम सब कसम उठाये...
श्रेष्ट प्राणी होने के नाते दायित्व बड़ा हमारा है
जीव की रक्षा करना प्रथम फर्ज ये सबसे प्यारा है
मानव उत्त्तम जीव जगत का सबने यही पुकारा है
इसी उद्देश्य पुर्ति हेतु रब नेे हमें उतारा है
कोशिश करने चाहिऐ पूरी जीवों को बचाने की।
आओ हम सब कसम उठाये...
इस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु मिलकर काम करना चाहिए
अपना सारा जीवन हमको इसके नाम करना चाहिए
जब तक हासिल नहीं जाता ना आराम करना चाहिए परोपकार परमार्थ हमको सुबह-शाम करना चाहिए
"विश्वबंधु" कोशिश करो कदम से कदम मिलाने की।
आओ हम सब कसम उठाये...
- स्वरचित व मौलिक