धीमी हुई यादें
मुझे सिखा रही हैं
सँभलना और संभालना
जिंदगी के इस मोड़ पर
जहां मैं चारों ओर देख रहा हूं
सब रास्तों को
निर्णय कर नहीं पा रहा हूं
किस रास्ता से चले
पीछे देखता हूं गुज़रा हुवा रास्ता को
आगे देखता हूं सामने खड़ा रास्ता को
गुज़रा हुआ रास्ता से
खुशी ना मिल सका
कोई पश्चाताप नहीं हैं मुझे
आगे का रास्ता जो सामने खड़ा हैं
चलने के लिए फिर भी दुविधा में हूं
अनायास डर लगता हैं
अपने आपसे प्रश्न करता हूं
अगर मुझे मुकाम ना मिला तो
तब मैं फिर बैठ जाता हूं
सलाह देने वाला कोई नहीं हैं
अगर कोई हैं तो
सिर्फ अपने हिसाब किताब लगाने वाले हैं
रास्ता सामने हैं
लेकिन मैं निर्णय नहीं कर पा रहा हूं
निर्णय न लेना भी
क्या निर्णय हैं रु
लेकिन वक्त मेरी इंतजार नहीं करेगा