पर्व महाशिवरात्रि का, शिवमय सब संसार ।
संचित कर ऊर्जा सभी, कर शिव शिव उद्गार ।।
अभय नाथ शिव शम्भु हे, मेरे भोलेनाथ ।
हो प्रसन्न निज हस्त को, धर दो मेरे माथ ।।
जो रस पीये नित्य ही, बैठ समाधि लगाय ।
करहुँ कृपा टुक मोहुँ पर, दो इक बूँद पिलाय ।।
शिव शिव जड़ चेतन सभी, शिवमय सब संसार ।
एक अलौकिक शक्ति वह, वासित सभी प्रकार ।।
हृदय प्रेम के भाव को, नीर क्षीर सम जान ।
मन से कर अभिषेक नित, नित शिव का कर ध्यान ।।
अलख अनादि अखेद हैं, अभय रूप आनंद ।
परम रूप साकार वह, वही हैं सच्चिदानन्द ।।
हिय मंदिर को शुद्ध कर, शिव को दे आकार ।
नित नित ही अभिषेक कर, प्रेम गंग की धार ।।
शिव शिव जपते ही रहो, जब तक तन में प्राण ।
करो प्रखर नित साधना, होगा तब कल्याण ।।
विश्व के सभी जीवों को महाशिवरात्रि पर्व की अनंत शुभकामनायें ।