यात्रा में
रिश्तों बनते हैं
बिखरते हैं
टूटते हैं
वक़्त कहाँ बचे है अब
कहां है फ़ुरसत ?
ऐसे बात को सोचने के लिए
जो हो गया, हो गया
सिर्फ वही होना था
अच्छे की लिए ही हुवा है
और जो हो रहा है
वह भीअच्छे के लिए हो रहा है
जो होने वाला है
वह तो बेहतरीन आगमन है
देखों, दूर देखों, ओर दूर...
सामने सूरज निकल रहाँ हैं
मेरे ही जन्मदिन मनाने के लिए