ये जो दिखाते है झूठा प्यार
करते क्यों तेरे पीछे वार?
जात- धर्म का नकाब ओढ़ के
तेरी ही क्यों आंखें फोड़ते
धर्म निरपेक्षता के नाम पर माँ
असहनशिलता हैं फैलते
इधर तेरी बेटी रो रही
उधर तेरा बेटा मर रहा
तुझे नोच नोच कर शत्रु
तेरी आजादी पिता रहा
ऐसे में ,मैं माँ हो जाऊ ज्वालामुखी
भस्म कर दू, फिर खिले सूरजमुखी
राम राज आए,हो जाएं सब सखा सखी
फिर चमकेगी आजादी जैसे सूरज सशी।
इतनी शक्ति जगे मुझ में
मर जाऊ मैं माँ तुझ में
अब लहू मेरा काम आए
ये शत्रु तेरे भाग जाए
गले लगाए मुझे तिरंगा
बहा ले मुझे जय माँ गंगा
अब पूर्ण हो मेरी दुआ
महके खिले वसुंधरा
मर कर भी मैं तेरी ही बाहों में
लिपटा रहूं बनके तिरंगा।