पैर किसके छूने चाहिए , इस बात पर बहुत गौर करना चाहिए ।
अक्सर लोग गाहे बगाहे हर किसी का चरण स्पर्श करते नज़र आ जाते हैं।
लेकिन चरण स्पर्श करने के पीछे भी नियम एवं शर्ते हैं।
अगर आप इन नियम या शर्तों के अनुरूप न जाकर हर किसी का चरण स्पर्श करते हैं तो उसकी होने वाली हानियों के ज़िम्मेदार भी आप ही होंगे ।
आजकल लोग बड़े गर्व से अपना पैर छुवाते हैं और दूसरों को बड़े रुआब से देखते हैं कि अमुक व्यक्ति मेरा पैर छू रहा है ।
परंतु ऐसे भोले लोगों को स्वयं ही पता नहीं कि वह अपना नुकसान स्वयं कर रहे हैं।
पैर छूने वाला और पैर छुवाने वाला , दोनों के लिए नियम एवं शर्ते हैं।
आप जिसका चरण स्पर्श कर रहे हैं , आपको उस व्यक्ति के विषय में जानना बेहद आवश्यक है ।
उस व्यक्ति, जिसका आप चरण छू रहे हैं , उसका चरित्र कैसा है , उसके गुण क्या हैं , वह किस गुण प्रधान का व्यक्ति है , वह धार्मिक या आध्यात्मिक प्रवृत्ति का व्यक्ति है या घोर संसारी ?
वह आपराधिक प्रवृत्ति का तो नहीं ?
वह कलुषित हृदय का तो नहीं ।
आजकल तो अज्ञानतावश लोग सबका पैर छू लेते हैं देखा देखी में । उन्हें बस यह दिखना चाहिए कि अमुक व्यक्ति के बाल सफेद हैं कि नहीं ।
वह देखते ही नहीं कि जिस व्यक्ति का चरण स्पर्श कर रहे हैं वह कामी, क्रोधी , लोभी , लालची , बलात्कारी , हत्यारा , द्वेषी इत्यदि है या सात्विक हृदय वाला व्यक्ति ।
यह ध्यान रखिये कि जिसका आप चरण स्पर्श कर रहे हैं , उस व्यक्ति विशेष का गुण या अवगुण आपके अंदर अवश्य प्रविष्ट होगा । आप उसके गुणों से अवश्य प्रभावित होंगे ।
किसी बलात्कारी , हत्यारे , कलुषित हृदय के व्यक्ति का चरण मात्र एक हफ्ते छूकर देखिये , आप एक हफ्ते में उसी प्रवृत्ति या गुण के बनते जाएंगे, आपकी विचारधारा में परिवर्तन आने लगेगा ।
ठीक इसी तरह किसी भक्त या आध्यात्मिक या सात्विक व्यक्ति का चरण स्पर्श करके देखिए, आप में भक्ति या आध्यात्मिकता स्वयमेव आती जाएगी ।
इसीलिए पहले राजा महाराजा तब तक नतमस्तक नहीं होते थे जब तक अमुक साधु का परिचय नहीं मिल जाता था ।
ओह्ह आप ऋषि हैं ? आप गौतम ऋषि हैं, तुरंत दंडवत प्रणाम ।
ऐसे नहीं कि बिना उसके चरित्र का अवलोकन किये सबके चरण स्पर्श कर रहे हैं । हाँ , हाथ जोड़कर प्रणाम अवश्य कर लेते थे परंतु चरण वंदन , चरित्र या परिचय प्राप्त करने के बाद ही होता था ।
इसीलिए हमारे शास्त्रों में रोज सुबह शाम अपने गुरु , माता , पिता , भगवान के चरणों का पूजन विधान है ।
क्योंकि इन सब का परिचय हमें प्राप्त है और इनके गुणों से भी हम परिचित हैं ।
मात्र सफेद बाल देखकर या अपने से बड़े को देखकर चरण छू लेना एकमात्र शास्त्र विहीन अज्ञानता है और कुछ नहीं।
न तेन वृद्धो भवति येनास्य पलितं शिरः I
यो वे युवाप्यधीयानस्तम देवाः स्थविरं विदु: II ( मनु २:१५६ )
न तेन थेरोसि होति येनस्स पलितं सिरो I
परिपक्को वयो तस्स मोघजिन्नोति वुच्चति II ( धम्मपद १९:५ )
अर्थ – वह वृद्ध नही होता जिसके सिर के केश पक जाएँ किन्तु जो जवान भी पढ़ा हुआ विद्वान है उसको विद्वानों ने वृद्ध माना है I
सफेद बाल तो आजकल pollution से भी हो रहे हैं ।
तो एकमात्र ज्ञान के आधार पर ही वृद्ध कहा गया है । वृद्ध वह है जिसके संसर्ग में आपके गुणों की वृद्धि हो । बस ।
जैसे सनकादिक परमहंस जो 6 वर्ष की अवस्था के हैं , शुकदेव परमहंस इत्यादि ये सब वृद्ध ही कहे जाएंगे , जिनके चरण वंदन बृहस्पति इत्यादि तक करते हैं।
अब बात करते हैं जो चरण छुवाते हैं ।
पैर छुवाना कोई बड़े गर्व का विषय नहीं है बल्कि आपका नुकसान ही है ।
कोई जब किसी का पैर छूता है तो , पैर छूने वाले के पास पैर छुवाने वाले का पुण्य स्वयमेव चला जाता है ।
ये पैर छुवाने वाले का नुकसान है । लेकिन पैर छूने वाले की बल्ले बल्ले बशर्ते उसने जिसका पैर छुवा हो वह सात्विक, गुणवान , आध्यात्मिक या ऊर्ध्व विचारधारा वाला व्यक्ति हो ।
माता पिता गुरु इत्यादि तो इसलिए पैर छुवा लेते हैं कि उनका जो पुण्य भाग है वह उनके अपनी ही संतति को जा रहा है ।
इसलिए सबसे पैर छुवाना अर्थात अपनी घोर हानि करना है ।
मतलब कमाया 5 रुपये पर सबसे पैर छुआकर और minus में चले गए । रही सही अपनी ऊर्जा , आध्यात्मिक ऊर्जा भी नष्ट कर दी ।
और अगर पैर छूने वाला कोई सात्विक , तेजयुक्त ब्राह्मण ( कर्म से ) हो तो और भयंकर हानि । कोई भक्त हो तो महा हानि ।
कोई गधा या कलुषित व्यक्तित्व वाला हो तो कम हानि ।
और कोई अंतर्यामी नहीं है कि जान सके कि अमुक व्यक्ति किस बुद्धि , गुण प्रधान वाला व्यक्तित्व है ।
इसीलिए ध्यान रखिये पैर छूना और छुवाना दोनों के लिए शास्त्रों ने नियम , कानून या terms and conditions बताए हैं ।
साधक वर्ग के लिए तो विशेष ध्यान रखने योग्य है ।
यही terms and conditions से हम अनभिज्ञ रहते हैं और अपनी हानि करवाते रहते हैं ।
इसीलिए आगे से सावधान पैर छूने वाले और छुवाने वाले दोनों ।