भारत (India) और नेपाल (Nepal) के शीर्ष राजनयिकों ने सोमवार को डिजिटल बैठक कर भारत की मदद से नेपाल में चल रहीं विकास संबंधी परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा की और इनके कार्यान्वयन में तेजी लाने का फैसला किया। यह बैठक नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली द्वारा अपने भारतीय समकक्ष नरेन्द्र मोदी को फोन कर भारत के 74वें गणतंत्र दिवस पर बधाई देने के बाद हुई है।
नेपाल द्वारा मई में नया राजनीतिक मानचित्र जारी करने के बाद भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों में आई तल्खी के बाद दोनों देशों के बीच यह पहली उच्च-स्तरीय वार्ता है। नेपाल के विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार नेपाली विदेश सचिव शंकर दास बैरागी और नेपाल में भारतीय राजदूत विजय मोहन क्वात्रा ने पर्यवेक्षण तंत्र की इस आठवीं बैठक में अपने-अपने देश के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। सूत्रों ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के चलते डिजिटल माध्यम से हुई इस बैठक में द्विपक्षीय आर्थिक और विकास संबंधी परियोजनाओं की समीक्षा की गई। इस संबंध में पिछली बैठक आठ जुलाई 2019 को हुई थी, जो ऐसी सातवीं बैठक थी।
भारतीय दूतावास की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार दोनों पक्षों ने विभिन्न परियोजनाओं पर चर्चा की और उनके कार्यान्वयन का काम तेज करने पर सहमति जतायी। दोनों पक्षों ने बीते एक साल में विकास संबंधी परियोजनाओं में हुई प्रगति की समीक्षा की, जिसमें गोरखा और नुवाकोट जिलों में भूकंप से तबाह हुए 46,301 घरों के पुनर्निमाण और सीमा पार पेट्रोलियम उत्पाद पाइपलाइन मोतिहारी-अमलेखगंज का संचालन शुरू करने, बिराटनगर में एकीकृत जांच चौकी और सामुदायिक विकास परियोजनाएं शामिल हैं।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि नेपाल ने भी चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति समेत कोविड-19 संबंधी सहायता के लिये भारत का आभार जताया। नेपाल के विदेश मंत्रालय के अनुसार बैठक में मुख्य रूप से नेपाल-भारत द्विपक्षीय सहयोग के तहत चल रहीं परियोजनाओं के कार्यान्वयन की स्थिति पर चर्चा की गई, जिसमें तराई रोड, सीमा पार रेलवे, अरुण-3 जल विद्युत परियोजना और पेट्रोलियम उत्पाद पाइपलान परियोजना शामिल है। मंत्रालय ने बताया कि इसके अलावा पंचेश्वर बहुउद्देशीय परियोजना, भूकंप के बाद पुनर्निर्माण, सिंचाई, बिजली एवं ट्रांसमिशन लाइन, नेपाल पुलिस अकादमी के निर्माण, एकीकृत जांच चौकी, रामायण सर्किट, एचआईसीडीपी, महाकाली नदी पर पुल, कृषि और सांस्कृतिक विरासत जैसे कई मुद्दों पर चर्चा की गई।
2016 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) के नेपाल दौरे के बाद भारत-नेपाल पर्यवेक्षण तंत्र की स्थापना की गई थी। इसका मकसद द्विपक्षीय परियोजनाओं के कार्यान्वयन की समीक्षा करके उन्हें समय पर पूरा करने के लिये जरूरी कदम उठाना है। दोनों देशों ने आपसी सहमति से तारीख तय करके अगली बैठक करने पर रजामंदी जाहिर की है।
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने आठ मई को उत्तराखंड के धारचूला को लिपुलेख दर्रे से जोड़ने वाली सामरिक रूप से महत्वपूर्ण 80 किलोमीटर लंबी सड़क का उद्घाटन किया था, जिसके बाद दोनों देशों के बीच रिश्तों में तनाव पैदा हो गया था। नेपाल ने इसका विरोध करते हुए दावा किया कि यह सड़क उसके क्षेत्र से होकर गुजरती है। इसके कुछ समय बाद नेपाल ने नया राजनीतिक नक्शा जारी किया, जिसमें लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को उसके क्षेत्र में दिखाया गया है। जून में नेपाल की संसद ने देश के नए राजनीतिक मानचित्र को मंजूरी दे दी, जिसपर भारत ने कड़ा ऐतराज जताया। (एजेंसी)