देश भर में लॉकडाउन की मार झेल रहे प्रवासी मजदूरों का चेहरा बन चुके रामपुकार पंडित को बिहार के बेगूसराय जिले में एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां वह दूर से ही अपनी पत्नी और 9 साल की बेटी से मिले. रामपुकार (38) हाल ही में श्रमिक विशेष ट्रेन से दिल्ली से बिहार पहुंचे और यहां आने के बाद स्थानीय स्कूल में उन्हें क्वारेंटाइन में रखा गया. उन्होंने बताया कि रविवार को अधिकारी उन्हें जांच के लिए अस्पताल ले गए.
बेटे की मौत की खबर पाकर हताश रामपुकार लॉकडाउन में बड़ी कठिनाई से दिल्ली से बिहार पहुंचे. जब न्यूज एजेंसी 'भाषा' ने सोमवार को उनसे संपर्क किया तो वह रो पड़े. उन्होंने धीमी आवाज में कहा, 'जब भी आंखें खोलता हूं तो सिर चकराता है. मैं बहुत कमजोर महसूस कर रहा हूं. वे कल दोपहर को मुझे क्वारेंटाइन केंद्र से कार में बैठाकर अस्पताल ले आए. उन्होंने मेरे गले और नाक से नमूने लेकर मेरी जांच भी की.'
अपने एक साल के बेटे को खोने के बाद टूट चुका बाप अपने परिवार को गले लगाने को तड़प रहा था. सामाजिक दूरी के नियमों के कारण वह करीब से उनसे मिल भी नहीं सके. रामपुकार ने बताया कि उनकी पत्नी और बेटी पूनम जिले के खुदावंदपुर ब्लॉक के अस्पताल में उनसे मिलने आयी थीं, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें थोड़ी दूर से ही मिलने की अनुमति दी.