11 मई, 1857 को सोमवार था. रमज़ान का 16वाँ दिन.
सुबह के सात बजे बादशाह बहादुरशाह ज़फ़र लाल किलें में नदी के सामने के तसबीहख़ाने में सुबह की नमाज़ पढ़ चुके थे.
तभी उन्हें यमुना पुल के पास 'टोल हाउज़' से धुँआ उठता दिखाई दिया.
उन्होंने फ़ौरन इसका कारण जानने के लिए अपना हरकारा वहाँ भेजा और प्रधानमंत्री हकीम अहसानुल्लाह ख़ाँ और किले की सुरक्षा के लिए ज़िम्मेदार कैप्टेन डगलस को तुरंत तलब कर लिया.
हरकारे ने आ कर बताया कि अंग्रेज़ी सेना की वर्दी में कुछ भारतीय सवार नंगी तलवारों के साथ यमुना पुल पार कर चुके हैं और उन्होंने नदी के पूर्वी किनारे पर बने टोल हाउज़ में आग लगा कर उसे लूट लिया है.