पिछले 30 साल से आंतकवाद झेल रहे कश्मीर में अब आतंकी तंजीमों की भर्ती में कमी आनी शुरू हो गई है। इसका सीधा-सीधा मतलब यही हुआ कि कश्मीर की जो नई पीढ़ी है, वो भी शांति ही चाहती है। सुरक्षा एजेंसियों से मिला डेटा बताता है कि, कश्मीर में 2018 के बाद से आतंकियों की भर्ती की संख्या कम हो रही है। 2018 में 219 कश्मीरी आतंकी बने थे। यानी, उस समय हर महीने औसतन 18 लोग आतंकी संगठन से जुड़ रहे थे। 2019 में इसकी संख्या घटी। पिछले साल 119 लोग आतंकी बने।
इस साल भी आतंकी तंजीमों की भर्ती में गिरावट आई है। इस साल के 3 मई तक के ही आंकड़े मौजूद हैं और इस समय तक कश्मीर में सिर्फ 35 युवा ही आतंकी तंजीमों से जुड़े। यानी, 2 साल पहले तक नए लोगों की आतंकी बनने का हर महीने का औसत जहां 18 था, वो अब घटकर 8 का हो गया है।