वैश्विक महामारी कोरोना के खिलाफ देश में जंग जारी है। अन्य देशों के मुकाबले इस लड़ाई में भारत के प्रयासों की पूरी दुनिया में जमकर सराहना की जा रही है। प्रशंसा के केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विशेष रूप से हैं। वैसे तो इस खतरनाक वायरस के खिलाफ सभी देश अपने-अपने स्तर से लड़ाई लड़ रहे हैं। मगर भारत जिस सख्ती से इस महामारी के खिलाफ डटा है, उसकी तारीफ पूरी दुनिया कर रही है।
भारत में कोरोना वायरस ने 30 जनवरी 2020 को दस्तक दी थी। पहला केस केरल में मिला था। चीन के वुहान विश्वविद्यालय से आए एक छात्र में कोरोना वायरस का लक्षण पाया गया था। इसके 54-55 दिन बाद यानी 24 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में 21 दिनों के लिए लॉकडाउन का एलान किया था। इन 55 दिनों में देश में कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्या 400 के करीब थी और लगभग नौ से दस लोगों की मौत हुई थी।
सरकार ने उठाए जरूरी कदम
लॉकडाउन में सरकार ने सोशल डिस्टेंसिंग, साफ-सफाई, लगातार हाथ धोने, सैनिटाइजर का खूब इस्तेमाल करने, मास्क पहनने और घरों में ही रहने आदि की सलाह दी थी। लोगों ने पीएम को सहयोग दिया। हालांकि जमातियों के संक्रमण के मामलों में भारत की कोरोना की लड़ाई को कमजोर किया। देश के तकरीबन 23 राज्यों में जो पॉजिटिव मरीज मिले उनमें जमात के लोग शामिल रहे। इन सभी जमातियों ने निजामुद्दीन मरकज सभा में शामिल होकर इस वायरस का और विस्तार कर दिया।
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से समय-समय पर जारी मेडिकल बुलेटिन में यह तथ्य भी सामने आए कि अलग-अलग राज्यों से जितने भी संक्रमित मरीजों की संख्या आती थी, उनमें से ज्यादातर लोग मरकज से संबंधित थे। हालांकि, पूरा संक्रमण जमातियों ने ही नहीं फैलाया, लेकिन देश में जो अचानक मामले बढ़ने लगे, उसकी सबसे बड़ी वजह यही थी।