कोरोना विषाणु का कहर ऐसा है कि मानो सभी शक्तिशाली देश मृतप्राय हो गए। मक्का से वेटिकन सिटी तक बोधगया मंदिर से शिर्डी, सिद्धिविनायक तक सर्वत्र ‘सन्नाटा’ पसरा है। इंसान पर आनेवाले हर संकट के समय सबसे पहले ईश्वर मैदान छोड़कर भागते हैं। कोरोना के कारण धर्म, ईश्वर सभी निरुपयोगी हो गए हैं।
कोरोना वायरस की चपेट में पूरी दुनिया छटपटाती हुई दिख रही है। दूसरे विश्वयुद्ध के समय भी दुनिया इतनी परेशान नहीं दिखी थी। खुद को सुपरपावर समझनेवाले कई देश कोरोना वायरस के समक्ष बेबस हो गए हैं। चंद्रमा और मंगल पर ‘कदम’ रखनेवाले अमेरिका में राष्ट्रीय आपदा और आपातकाल घोषित हो गया है। एक समय पूरी दुनिया पर राज करनेवाले ग्रेट ब्रिटेन ने खुद को बंद कर लिया है। महारानी एलिजाबेथ को उनके राजभवन से ‘अलग’ कर दिया है। कई बड़े देशों में ऐसा हो रहा है। प्रकृति द्वारा इंसानी अहंकार, धर्म और ईश्वर को दी गई यह शिकस्त है। संकट के समय इंसान ईश्वर की शरण में जाता है लेकिन कोरोना के कारण उल्टा ही हो गया है।
फिलहाल तो धर्म, राजनीति में सबसे बड़ा निवेश बन गया है। लेकिन कोरोना प्रकरण में खुद ईश्वर को ही विषाणु से सुरक्षित रखने का समय आ गया है। हिंदू, मुस्लिम, बुद्ध ऐसे सर्वधर्मीय देश मानो मृतप्राय हो गए हैं। महाराष्ट्र का ही नहीं बल्कि देश के ‘देवालय’ कोरोना के डर से बंद करने पड़े हैं। भक्तों का तेज है इसलिए मंदिर में पत्थर की मूर्तियों को देवत्व मिला है।
भक्तों का तेज खत्म हो गया इसलिए वैâसे देव और वैâसा देवत्व? महाराष्ट्र में ‘कोरोना’ वायरस पैâले नहीं इसलिए सिद्धिविनायक मंदिर बंद कर दिया गया। तुलजापुर का भवानी माता मंदिर, कोल्हापुर का महालक्ष्मी मंदिर, पुणे स्थित दगड़ू सेठ हलवाई गणपति मंदिर, त्र्यंबकेश्वर मंदिर बंद कर दिए गए हैं। शिर्डी की सुगबुगाहट है। मुंबई स्थित बाबुलनाथ मंदिर बंद कर दिया गया है। देवताओं ने कई असुरों का वध किया, ऐसा पुराणों में कहा गया है लेकिन एक विषाणु ईश्वर पर भारी पड़ गया है।