कोरोना वायरस: पूर्व स्वास्थ्य सचिव ने कहा, भारत सहित दुनिया ने शोध और विकास पर नहीं दिया ध्यान

देश-दुनिया में कोरोना वायरस के प्रकोप के बीच चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि संक्रामक रोगों का समय रहते इलाज ढूंढने के लिए अनुसंधान एवं विकास पर विशेष ध्यान देने के साथ ही एक समग्र एवं दीर्घकालीन नीति बनाने की जरूरत है.

उनका यह भी कहना है कि भारत समेत दुनिया के तमाम देश पिछले डेढ़ दशक में इस दिशा में उचित कदम उठाने में विफल रहे हैं.

इसी मुद्दे पर पेश है स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की पूर्व सचिव सुजाता राव से समाचार एजेंसी भाषा की ओर से लिए गए साक्षात्कार का अंश:

वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास की क्या स्थिति है?

पिछले 10 वर्षों में 7-8 तरह के प्रभावशाली वायरस सामने आए जिनमें सार्स, जिका, इबोला, एच1एन1, कोविड-19 आदि शामिल हैं. हमारे देश में बड़ी आबादी के विपरीत स्वास्थ्य प्रणाली मजबूत नहीं है.

कुपोषण एवं स्वस्थ जीवनशैली के अभाव में काफी संख्या में लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है. ऐसे में बीमारियों को लेकर सतत रूप से अनुसंधान एवं विकास पर ध्यान देने की जरूरत है, जिसकी हमारे देश में काफी कमी है.

अभी हमारे देश में स्वास्थ्य क्षेत्र पर कुल सकल घरेलू उत्पादक का एक प्रतिशत खर्च होता है और अनुसंधान एवं विकास पर खर्च मामूली है.

आज विषाणु विज्ञान सहित बुनियादी विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास की जरूरत है. हमें न केवल स्वास्थ्य क्षेत्र के बजट को दोगुना करना होगा, बल्कि अनुसंधान पर अलग से वृहद बजट आवंटित करना होगा.

अनुसंधान एवं शोध को लेकर चूक कहां हो रही है? इसका आगे का रास्ता क्या है?

भारत ही नहीं, पिछले करीब डेढ़ दशक में दुनियाभर में अनेक क्षेत्रों में वायरस सहित संक्रामक बीमारियां काफी कम अंतराल पर सामने आई हैं. इसके बावजूद संक्रामक रोगों से निपटने पर दुनिया ने कोई खास ध्यान नहीं दिया.

मौजूदा संकट के समय संक्रामक रोगों से निपटने में अनुसंधान एवं विकास की कमी आज स्पष्ट दिखायी दे रही है. भारत को ही नहीं बल्कि पूरे विश्व को संक्रामक रोगों से निपटने के लिए एक समग्र एवं दीर्घकालीन नीति बनाने की जरूरत है, जहां इस क्षेत्र में लगातार शोध पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए.

प्रकाशित तारीख : 2020-04-13 21:07:48

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