दुनियाभर में त्राहि-त्राहि मचाने वाली कोरोना महामारी ने इस वर्ष की हिमालयी तीर्थों की चारधाम यात्रा को तो संकट में डाल ही दिया मगर इसकी छाया आगामी हरिद्वार महाकुंभ पर भी पड़ती नजर आ रही है। बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री की यात्रा अप्रैल महीने के अंतिम सप्ताह से प्रस्तावित है, जिसमें देश विदेश से 30 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों के आने की संभावना है।जबकि हरिद्वार महाकुंभ का पहला स्नान 14 जनवरी 2021 को होना है जिसकी तैयारियों इस साल बरसात समाप्त होते ही शुरू हो जानी है और इस महापर्व के लिए रमते पंच सहित अखाड़ों का आगमन इसी साल शुरू हो जाएगा। जब लोगों के घरों से निकलने की पाबंदी हो और मंदिर मस्जिद सभी बंद हों तो फिर चारधाम यात्रा की संभावनाएं स्वतः ही क्षीण हो जाती हैं।
इस बार बदरी-केदार के दर्शन मुश्किल
कोरोना की विश्वव्यापी महामारी के महाखौफ से काफी पहले ही बसन्त पंचमी के अवसर पर बदरीनाथ के कपाट खोलने की तिथि 30 अप्रैल को और महाशिरात्रि के अवसर पर केदारनाथ के कपाट खोलने की तिथि 29 अप्रैल को प्राचीन परम्परानुसार घोषित हो चुकी है। गंगोत्री एवं यमुनोत्री के कपाट सदैव अक्षय तृतीया पर खुलते हैं जो कि इस साल 26 अप्रैल को आ रही है।
इस तरह देखा जाए तो इन हिमालयी तीर्थों के दर्शनों की शुरुआत 26 अप्रैल से होनी है, जिसके लिए कम से कम दो दिन पहले ऋषिकेश से इस वर्ष की यात्रा का श्रीगणेश होना है। जब कोरोना के खौफ से देश के सारे मंदिर और मस्जिद श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए गए हैं तो हिमालय के पवित्र धाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री में श्रद्धालुओं का स्वागत होगा, ऐसा संभव नहीं लगता है। वैसे भी इतिहास गवाह है कि गढ़वाल में हैजा और चेचक जैसी महामारियां तीर्थ यात्रियों के माध्यम से आती थीं और यात्रियों से संक्रमित डण्डी-कण्डी वाले पोर्टरों के माध्यम से पहाड़ के गांंवों तक पहुंचती थीं।