साइंस जर्नल पीएनएएस में प्रकाशित अपनी तरह के पहले अध्ययन में दावा किया गया है कि दोनों देशों के पास मौजूद परमाणु हथियारों का महज एक फीसदी हिस्सा भी 10 करोड़ लोगों की तत्काल जान लेने के अलावा वैश्विक स्तर पर आधुनिक इतिहास के सबसे बड़े खाद्यान्न संकट का कारण बन सकता है। इससे लोगों के खाने के लाले पड़ जाएंगे और करोड़ों लोगों की जान भूख के कारण चली जाएगी।
अध्ययन में कहा गया है कि दोनों के बीच परमाणु युद्ध के चलते वैश्विक स्तर पर तापमान में गिरावट के अलावा बेहद कम बारिश और सूरज की धूमिल रोशनी जैसे बुरे प्रभाव होंगे। इसका बड़ा असर फसलों के उत्पादन पर पड़ेगा। पहले साल में ही खाद्यान्न उत्पादन 12 फीसदी गिर जाएगा, जो किसी भी ऐतिहासिक सूखे के चलते हुई खाने की कमी से चार गुना ज्यादा बड़ा आंकड़ा होगा। यह असर करीब एक दशक तक पूरे विश्व के खाद्यान्न उत्पादन और व्यापार को प्रभावित करता रहेगा।