उस रात फिर से तेज़ बारिश हुई. ये मुस्तफ़ाबाद के अल हिंद अस्पताल की पहली मंज़िल से रुख़सार की रुख़सती की रात थी. नई दुल्हन उस अस्पताल से विदा हो रही थी जिसमें उसके परिवार ने पनाह ली थी.
26 फ़रवरी को रुख़सार के परिवार को पुलिस ने दंगा प्रभावित इलाक़े से निकाला था.
शिव विहार के गोविंद विहार में उनका घर यहां से बहुत दूर नहीं है. उनका कुत्ता मोती बंद पड़े घर के दरवाज़े के बाहर अब भी बैठा है. मोती उनका पालतू कुत्ता है जो पीछे छूट गया है. वो अब भी परिवार के लौटने का इंतज़ार कर रहा है.
उनके हिंदू पड़ोसी बंद पड़े घर की रखवाली कर रहे हैं और उनके कुत्ते को खाना खिला रहे हैं.
उनके एक पड़ोसी ने बीबीसी से कहा, "अब वो दूसरी तरफ़ हैं और उन्हें यहां आने में अभी वक़्त लगेगा. हमने इस परिवार को शरण दी तो हमें भी धमकियां दी गईं. मैं अब उसके सुखद भविष्य की कामना करता हूं."