रक्षाबंधन: झांसी की रानी ने बांदा के नवाब को भेजी थी राखी, दिलचस्प है इसके आगे की कहानी

अमर उजाला

नई दिल्‍ली
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भाई-बहनों के बीच प्रेम और सौहार्द का प्रतीक रक्षाबंधन बुंदेलखंड में सांप्रदायिक सौहार्द का भी पर्व है। इसकी बुनियाद 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने बांदा के तत्कालीन नवाब अली बहादुर सानी को राखी भेजकर डाली थी।

अपनी मुंह बोली बहन को राखी के उपहार में नवाब 10 हजार फौज लेकर खुद फिरंगी सेना से मोर्चा लेने झांसी पहुंच गए थे। बुंदेलखंड में आज भी रक्षाबंधन सौहार्द का संदेश देता है। तमाम मुस्लिम बहनें भी अपने हिंदू भाइयों को राखी बांधतीं हैं।

मुंह बोले हिंदू भाई भी उनकी रक्षा के वचन समेत कई उपहार देते हैं। सामाजिक और सांप्रदायिक सौहार्द की नींव 1857 की क्रांति में पड़ गई थी। अंग्रेजी सेना ने झांसी के किले को चारों तरफ से घेर लिया था। रानी लक्ष्मीबाई किले में घिर गईं थीं। रानी ने अपने डाकिए (पत्र वाहक) दुलारे लाल के हाथ बांदा नवाब अली बहादुर को राखी भेजी और उसके साथ एक पत्र भी। यह पत्र चैत्र सुदी संवत सत्र 1914 (ईसवी 1857) को भेजा।

प्रकाशित तारीख : 2021-08-22 07:35:00

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