मेरी प्रेगनेंसी के नौ महीनों की कहानी आप 'डियर मां' की पिछली किस्तों में पढ़ चुके हैं। किस तरह मेरी प्रेगनेंसी के पूरे नौ महीने मुश्किल भरे रहे। किस तरह हमें न चाहते हुए भी सिजेरियन डिलीवरी के लिए तैयार होना पड़ा और किस तरह मैंने एक प्यारी सी बच्ची को जन्म दिया। अब बात इसके आगे के सफर की। वो सफर जो शुरू होता है आपके मां बनने के बाद... मां बनने के बाद आपकी सबसे पहली और अहम जिम्मेदारी होती है, बच्चे को दूध पिलाना। हॉस्पिटल में तीन दिन रहने के दौरान मैं अपनी बच्ची को ठीक से दूध नहीं पिला पाई थी।
मुझे लैक्टेशन एक्सपर्ट ने कुछ टिप्स और ट्रिक्स बताए थे, जिससे मैं सहज होकर दूध पिला सकूं, मगर ये अपने आप में एक मुश्किल भरा काम होता है। मुझे याद है हॉस्पिटल में डिस्चार्ज के वक्त किस तरह मेरी ब्रेस्ट में मुझे बहुत ज्यादा कसाव और दर्द महसूस हुआ था। तब मेरी डॉक्टर ने मुझसे कहा था, 'बच्चे को दूध जरूर पिलाना है। वरना तुम्हें भी बुखार आ सकता है या फिर ब्रेस्ट में गांठें भी बन सकती हैं। दूध पिलाना सिर्फ बच्चे के लिए ही नहीं, मां के शरीर के लिए भी जरूरी है।'