अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद अमेरिका ने घोषणा की है कि वह काबुल एयरपोर्ट के एयर ट्रैफिक कंट्रोल को टेक ओवर कर लेगा. साथ ही अमेरिका ने कहा कि वो अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए अगले 48 घंटों में अफगानिस्तान में सैनिकों की संख्या बढ़ाकर 6,000 करेगा. रविवार को अमेरिकी विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय ने एक संयुक्त बयान में कहा कि आने वाले दिनों में अमेरिका अपने हजारों नागरिकों और काबुल में तैनात यूएस मिशन के कर्मचारियों और उनके परिवार को सुरक्षित निकालेगा.
एक अमेरिकी रक्षा अधिकारी ने सीएनएन से कहा कि अमेरिका ने रविवार को काबुल में तैनात अपने दूतावास के 500 कर्मियों को अफगानिस्तान से बाहर निकाला. अमेरिकी दूतावास के करीब 4000 स्टाफ अब भी देश से निकाले जाने बाकी हैं. इनमें अमेरिकी और अफगानी नागरिक भी हैं, जो दूतावास के लिए काम करते हैं. रविवार को रिपोर्ट सामने आई थी कि अमेरिका काबुल में अपने दूतावास से सभी कर्मचारियों को 72 घंटों में निकाल लेगा.
रक्षा अधिकारी ने बताया कि पेंटागन ने पहले घोषणा की थी कि 3,000 अतिरिक्त सैनिकों को भेजा जा रहा है. लेकिन अफगानिस्तान में अचानक स्थिति बिगड़ने के बाद पेंटागन ने इसे बढ़ाकर 6,000 करने का फैसला किया. संयुक्त बयान में कहा गया है, “अमेरिकी अप्रवासी वीजा के योग्य अफगान नागरिकों को निकालने की प्रक्रिया भी तेज कर रहे हैं. बीते दो हफ्तों में करीब 2,000 लोगों को अमेरिका पहुंचाया गया है.”
अमेरिकी दूतावास ने कामकाज को किया निलंबित
काबुल में अमेरिकी दूतावास ने सभी कामकाज निलंबित को कर दिया है और अमेरिकी नागरिकों से किसी सुरक्षित स्थान पर आश्रय लेने को को कहा है. दूतावास ने रविवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर गोलीबारी की खबरें मिल रही हैं. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि अमेरिका काबुल स्थित अपने दूतावास से बचे हुए कर्मचारियों को व्यवस्थित तरीके से बाहर निकाल रहा है.
हालांकि उन्होंने जल्दीबाजी में अमेरिका के वहां से निकलने के आरोपों को तवज्जो नहीं देते हुए कहा कि यह वियतनाम की पुनरावृत्ति नहीं है. उन्होंने इसकी पुष्टि भी की कि अमेरिकी दूतावास के कर्मचारी परिसर खाली करने से पहले दस्तावेज और अन्य सामग्री को नष्ट कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने जोर देते हुए कहा कि “यह बहुत सोच-समझकर और सुनियोजित तरीके से किया जा रहा है. यह सबकुछ अमेरिकी बलों की उपस्थिति में हो रहा है, जो वहां हमारी सुरक्षा सुनिश्चित कर रहे हैं.”
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने जुलाई में औपचारिक घोषणा की थी कि अमेरिकी सैनिक 31 अगस्त तक अफगानिस्तान से वापस आ जाएंगे. वह बलों की वापसी संबंधी अपने फैसले पर दृढ़ हैं. उन्होंने इस सप्ताह की शुरुआत में संवाददाताओं से कहा कि उन्हें इस पर खेद नहीं है और अब समय आ गया है कि अफगानिस्तान के लोग ‘‘अपने लिए लड़ें’’.
पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने जो बाइडन की आलोचना की
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने उत्तराधिकारी बाइडन की आलोचना की और उन पर असंगत फैसलों से अफगान नीति पर पूरी तरह से विफल होने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, “तालिबान अब अमेरिका या अमेरिका की शक्ति से नहीं डरता है या उसका सम्मान नहीं करता. कितनी शर्म की बात होगी, जब तालिबान काबुल में अमेरिकी दूतावास पर झंडा फहराएगा. यह कमजोरी, अक्षमता और रणनीतिक रूप से असंगत फैसलों के कारण मिली एक पूर्ण विफलता है.”
20 साल की लंबी लड़ाई के बाद अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान से निकलने के कुछ ही दिनों के भीतर लगभग पूरे देश पर फिर से तालिबान का कब्जा हो गया है. रविवार सुबह काबुल पर तालिबान लड़ाकों की दस्तक के बाद अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश छोड़ दिया. अफगानिस्तान के राष्ट्रपति भवन पर तालिबान लड़ाकों का कब्जा हो गया है. अल-जजीरा न्यूज नेटवर्क पर प्रसारित एक वीडियो फुटेज में तालिबान लड़ाकों का एक बड़ा समूह राजधानी काबुल में स्थित राष्ट्रपति भवन के भीतर नजर आ रहा है.