प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में हुई संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूनएनएससी) की खुली चर्चा के बाद भारत के अध्यक्षीय वक्तव्य में चीन को कड़ा संदेश देते हुए स्पष्ट रूप से इस बात की पुष्टि की गई है कि 1982 के संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मेलन में सामुद्रिक गतिविधियों के लिए कानूनी ढांचा निर्धारित किया जा चुका है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने समुद्री सुरक्षा पर भारत के अध्यक्षीय वक्तव्य को स्वीकार किया।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने एक वीडियो संदेश में कहा, 'संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में समुद्री सुरक्षा पर हुई उच्चस्तरीय बैठक कई मायनों में ऐतिहासिक रही।' तिरुमूर्ति ने कहा, 'सुरक्षा परिषद की इस बैठक में पहली बार समुद्री सुरक्षा की समग्र अवधारणा पर अध्यक्षीय वक्तव्य को स्वीकार किया गया है। इस वक्तव्य में समुद्री डकैती, सशस्त्र लूट और अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध के उल्लेख के अलावा स्पष्ट रूप से कहा गया है कि 1982 का संयुक्त राष्ट्र का सम्मेलन सामुद्रिक गतिविधियों के लिए कानूनी ढांचा निर्धारित करता है।'