मुझे नहीं पता कि 8 जुलाई को एक अखबार ने मुखपृष्ठ पर लगाई गई मुख्य तस्वीर को किस वजह से चुना, लेकिन उनके द्वारा नरेंद्र मोदी के नए कैबिनेट मंत्रियों की सौंदर्यबोध-विहीन तस्वीर हमें आज के भारत की सरकार के बारे में वो सब बताती है, जो हमें जानने की जरूरत है. साथ ही यह भी कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में हुई नवीनतम फेरबदल और विस्तार से किसी भी ठोस बदलाव की संभावना क्यों नहीं है.
जैसा कि आम तौर पर 15 चेहरों वाले कोलाज में होता है, यहां हर मंत्री अकेला नहीं है बल्कि वह अपने प्रिय नेता के लिए किसी प्रॉप (सहारे) के रूप में मौजूद है, जो यह स्पष्ट करता है कि दोनों अविभाज्य हैं, इनमें कोई अंतर नहीं है, और कैबिनेट का यह सदस्य या तो केवल एक पिछलग्गू है या प्रधानमंत्री का ही विस्तार.
अगर यह कोई चालाकी भरा संपादकीय फैसला था, जो अख़बार के संपादकों ने लिया था, तो उन्हें मेरा सलाम. लेकिन अगर, जैसा मुझे शक है कि यह डिज़ाइन को लेकर खराब समझ थी, तब भी हमें उनका शुक्रगुज़ार होना चाहिए कि उन्होंने जाहिर तौर पर एक तस्वीर के जरिये इस बात की पुष्टि कर दी कि मोदी सरकार में सिर्फ मोदी ही केंद्र में हैं. ऐसे में मंत्रिपरिषद में चुने गए ये 77 महिला और पुरुष सिर्फ उन्हीं की भूमिका का बढ़ा-चढ़कर दिखाने के लिए हैं.