भारत में कोरोना की दूसरी लहर कमजोर हुई है, पर खत्म नहीं। दूसरी लहर का पीक पिछले साल सितंबर में आए पहले पीक से चार गुना बड़ा था। दूसरी लहर में मौतें भी पिछले के मुकाबले दोगुनी हुई। 150 दिन में 2.5 लाख से अधिक लोगों ने दम तोड़ा। इससे अभी निपटे भी नहीं कि सरकार से लेकर कई विशेषज्ञ कह रहे कि कोरोना की तीसरी लहर भी आ सकती है। और तो और, यह बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक होगी।
पर महामारी विशेषज्ञ डॉ. चंद्रकांत लहारिया ऐसा नहीं मानते। उनका कहना है कि इसे साबित करने का साइंटिफिक आधार नहीं है। तुलनात्मक रूप से बड़ों के मुकाबले बच्चों में कोई रिस्क नहीं है। हमारे देश में 40% आबादी 18 वर्ष से कम उम्र की है। उनमें से सिर्फ 10% अब तक इन्फेक्ट हुए हैं। मौतों की अंडर रिपोर्टिंग पर उनका कहना है कि ऐसा हर देश में हो रहा है। भारत में वास्तविक मौतों का आंकड़ा बताई गई मौतों से 2 से 6 गुना तक हो सकता है।
डॉ. लहारिया ने दिल्ली एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया और टॉप वैक्सीन साइंटिस्ट डॉ. गगनदीप कंग के साथ मिलकर कोरोना को लेकर भारत में किए गए उपायों पर किताब लिखी है। नाम है ‘टिल वी विन’। डॉ. लहारिया कोरोना से जुड़ी कई कमेटियों के सदस्य भी हैं। हमने उनसे कोरोना की मौजूदा स्थिति, बच्चों पर इसका खतरे, भविष्य में आने वाली लहरें, वैक्सीनेशन की रफ्तार जैसे जरूरी मसलों पर बात की।