मानसून आने के साथ ही किसान खरीफ फसलों की बुवाई की तैयारी कर देते हैं, ऐसे में किसानों के लिए सबसे पहले जानना जरूरी होता है कि कौन सी फसल की बुवाई कब और कैसे करें। अलग-अलग राज्यों में सभी फसलों की बुवाई का अलग समय होता है और राज्यों के हिसाब से किस्में भी विकसित की जाती हैं, इसलिए किसानों के लिए जानना जरूरी हो जाता है कि किस विधि से फसलों की बुवाई करें। मक्का की खेती मक्का की खेती करने वाले किसानों को जून के अंत तक बुवाई कर लेनी चाहिए।
जिस खेत में पानी रुकने की समस्या है वहां पर 15 जून से पहले-पहले बुवाई कर लेनी चाहिए। सभी किस्मों के लिए 20 किलो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से बीज का उपयोग करें। बुवाई करने के लिए 3.5 सेमी की गहराई पर हल के पीसे बीज डालें। दो लाइनों के बीच की दूरी जल्दी तैयार होने वाली किस्म में 45 सेमी और मध्यम और देर से पकने वाली किस्म में 60 सेमी होनी चाहिए। इसी तरह दो पौधों के बीच की दूरी जल्दी तैयार होने वाली किस्म में 20 सेमी और मध्यम और देर से पकने वाली किस्म में 25 सेमी रखनी चाहिए। बुवाई के बाद मक्का की फसल में निराई और गुड़ाई बहुत जरूरी है। यह खरपतवार नियंत्रण के साथ ही ऑक्सीजन के संचार में भी सुधार करता है। पहली निराई-गुड़ाई अंकुरण के 15 दिन बाद और दूसरी 35 से 40 दिन में करनी चाहिए।
मक्का में खरपतवार हटाने के लिए एट्राजीन दो किलो प्रति हेक्टेयर या 800 ग्राम एकड़ की दर से मध्यम से भारी मिट्टी में छिड़काव करें। हमेशा मिट्टी की जांच के हिसाब से ही उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए। लेकिन अगर किसी वजह से मिट्टी का परीक्षण नहीं हो पाया है तो संकर और मिश्रित मक्का की देर से पकने वाली किस्मों में 120:60:60 के अनुपात में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश का उपयोग करें। जल्दी तैयार होने वाली किस्म में 100:60:40 और देशी किस्मों 80:40:40 के अनुपात में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश का उपयोग करें। बुवाई के बाद से सिल्क बनने से लेकर अनाज भरने तक पर्याप्त नमी होनी चाहिए, इसलिए अगर बारिश नहीं होती है तो सिंचाई करते रहना चाहिए। बाजरा की खेती बाजरा के बुवाई का समय जुलाई के मध्य से अगस्त मध्य तक होता है, हल के पीछे 4 सेमी गहराई पर 50 सेमी की दूरी पर बुवाई करें। सभी किस्मों के लिए 4 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से बीज का प्रयोग करें। बीजोपचार के लिए एक किलो बीज को बोने से पहले 2.50 ग्राम थीरम से उपचारित करना चाहिए। 20 % नमक के घोलकर डुबोकर खराब बीज को निकाला जा सकता है।