मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पूर्व मेदिनीपुर जिले की नंदीग्राम सीट पर कभी अपने करीबी रहे बीजेपी उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी से करीब 16 सौ वोटों के अंतर से हार गई हैं. लेकिन परिणामों की घोषणा पर रोक लगा दी गई. मुख्य चुनाव अधिकारी आरिज आफताब ने कहा है कि वोटों की गिनती दोबारा हो सकती है. इसका फैसला रिटर्निंग अफसर लेंगे. ममता बनर्जी की जीत हार पर भले ही संशय बना हो, स्वयं मुख्यमंत्री ने हार मान ली है लेकिन धार्मिक आधार पर हुए जबरदस्त ध्रुवीकरण का खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ा और वह तीन अंकों तक भी नहीं पहुंच सकी. इस चुनाव में लेफ्ट-कांग्रेस और आईएसएफ गठबंधन का लगभग सफाया हो गया है.
पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल की सत्ता हासिल करने के लिए बीजेपी अबकी पूरी ताकत के साथ विधानसभा चुनाव में उतरी थी. उसने नारा दिया था - अबकी बार दो सौ पार. लेकिन वह सौ तक भी नहीं पहुंच सकी. चुनाव नतीजों को पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. टीएमसी की जीत में ममता के प्रति महिला वोटरों में भारी समर्थन और लेफ्ट और कांग्रेस को वोटरों का उसके खेमे में आना प्रमुख वजहें हैं. इसके अलावा नंदीग्राम में चोट के बाद ममता ने जिस तरह व्हीलचेयर के सहारे ही चुनावी रैलियां और रोड शो किए, बीजेपी की हिंदुत्व और जात-पांत की राजनीति के खिलाफ जिस तरह लगातार अभियान चलाया और तेल व गैस की बढ़ती कीमतों के साथ राज्य में कोरोना संक्रमण के लिए जिस तरह बीजेपी नेताओं को जिम्मेदार ठहराया, उसने टीएमसी की जीत में अहम भूमिका निभाई है.
लेकिन टीएमसी की भारी जीत के बावजूद खुद ममता बनर्जी नंदीग्राम सीट पर चुनाव हार गई हैं. उन्होंने पत्रकारों से कहा, "नंदीग्राम का फैसला मुझे मंजूर है. लेकिन गिनती में घपला होने का संदेह है. मैं अदालत में जाऊंगी." लेकिन सबसे पहले वोटों की गिनती फिर से कराए जाने का फैसला रिटर्निंग अफसर करेंगे.