लखनऊ के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में इन दिनों हाथों में 'निशुल्क शव वाहन' की तख्ती लिए वर्षा वर्मा मिल जाएंगी। वर्षा हर दिन न सिर्फ शवों को अस्पताल और घरों से श्मशान घाट लेकर जाती हैं, बल्कि उनका अंतिम संस्कार भी कराती हैं।
"मैंने देखा कि लोगों के पैसा नहीं होता कि शव का अंतिम संस्कार करा पाएं, एक तो उनके ऊपर ऐसे ही इतना दुख होता है कि परिवार का सदस्य चला और ऊपर से एंबुलेंस और शव वाहन हजारों रुपए मांगते हैं।" वर्षा बताती हैं। 42 साल की वर्षा पिछले तीन वर्षों से लावारिश शवों का अंतिम संस्कार कर रही हैं। लेकिन इस कोरोना महामारी में जिसका भरापूरा परिवार है, वो भी संक्रमण के डर, कई बार परिवार के दूसरे लोग खुद संक्रमण की चपेट में होते हैं, ऐसे लोगों के सामने शव का अंतिम संस्कार बड़ी समस्या होती है। वर्षा ऐसे लोगों के दुख में साथ देकर मानवता का फर्ज निभा रही हैं।
वर्षा कहती हैं, "मेरे दिमाग में आया कि क्यों न ऐसा किया जाए एक गाड़ी किराए पर लेकर सेवा शुरू की जाए। फिर मैंने एक गाड़ी किराए पर ली, ड्राइवर किया। इसके बाद इतने ज्यादा फोन आने लगे और एक गाड़ी से हर जगह जाना संभव नहीं था तो हमने दो और गाड़िया किराए पर ले ली हैं। हम ये सब लोगों के सहयोग से कर रहे हैं, लोगों का सहयोग कर रहे हैं।" हर दिन सुबह से लेकर शाम तक वर्षा राम मनोहर लोहिया अस्पताल में लोगों की मदद के लिए पहुंच जाती हैं। एक गाड़ी में वो खुद ड्राइवर के साथ रहती हैं, कई बार तो वो खुद से ही गाड़ी चलाकर जाती हैं। वो कहती हैं,"वैसे हर गाड़ी में एक ड्राइवर और उनके एक सहयोगी रहता है, क्योंकि कई बार ऐसा होता है कि किसी एक सदस्य की मौत हो जाती है और पूरा का पूरा परिवार कोरोना से पीड़ित होता है और कई ऐसे भी लोग होते हैं जो अकेले रहते हैं और उनके परिवार के सदस्य कहीं विदेश में रहते हैं। ऐसे में हम शव को गाड़ी पर रखते हैं और श्मशान पर उनका अंतिम संस्कार करते हैं।"