जम्मू और कश्मीर सरकार ने ‘राज्य की सुरक्षा के हित’ के नाम पर औपचारिक जांच की जरूरत को दरकिनार करने के लिए अनुच्छेद 311 के एक खंड का इस्तेमाल करते हुए केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन को असंतुष्ट कर्मचारियों से मुक्त करने के लिए एक नया कदम उठाया है.
शिक्षाविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को डर है कि इस नए कदम से जम्मू कश्मीर, जहां अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटने के बाद से प्रतिरोध का दायरा पहले ही कम हो चुका है, में बोलने और अभिव्यक्ति की आज़ादी को और ठेस लगेगी.
अपने नवीनतम कदम में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के प्रशासन द्वारा एक विशेष कार्य बल (एसटीएफ) का गठन किया गया है, जो ‘अनुच्छेद 311 (2) (सी) के तहत संदिग्ध गतिविधियों वाले कर्मचारियों के मामलों की जांच करेगा.’
जम्मू-कश्मीर के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी आदेश संख्या 355 के अनुसार, टास्क फोर्स का नेतृत्व जम्मू-कश्मीर के इंटेलिजेंस प्रमुख आरआर स्वैन करेंगे, जो जम्मू-कश्मीर लौटने से पहले एक दशक तक रिसर्च एंड एनालिसिस विंग में थे.