तपती दोपहर में नागपुर मेडिकल कॉलेज के गेट के सामने पटरी पर मैं भी बैठ गई। बगल में बैठी एक महिला के हाथ में रिपोर्ट्स थी, सरसरी तौर पर मैंने पूछा क्या हुआ है आपको ? वह बोली ‘मैं पॉजिटिव हूं।‘ यह सुनते ही मुझसे न तो तपाक से उठते बना, न बैठते।
देखते ही देखते दाएं-बाएं से आवाजें आने लगीं कि हम भी पॉजिटिव हैं, हम भी पॉजिटिव हैं। कोई हाथ जोड़ने लगा तो कोई गिड़गिड़ाने लगा कि हम किसी तरह उन्हें बेड दिलवा दें। लेकिन हम उनकी ऐसी कोई मदद नहीं कर सकते थे।
गढ़चिरौली के सिविल अस्पताल में श्याम बाबू के करीबी रिश्तेदार की कोविड से शाम 5 बजे मौत हो चुकी है। अभी दूसरे दिन के 12 बज चुके हैं, लेकिन उन्हें डेड बॉडी नहीं मिली है। वे दाह संस्कार के लिए लगभग 2800 रुपए की लकड़ियां खरीद चुके हैं। श्मशान में चिता तैयार करके यहां आए हैं।
बीती रात 8 बजे से लेकर अगले दिन 12 बजे तक गढ़चिरौली के इस अस्पताल में 21 मौतें हो चुकी हैं, लेकिन न कोई डेड बॉडी देने वाला, न बताने वाला कि कब देंगे। किसी से भी बात करो तो अधमरी आवाज में लोग बोल रहे हैं कि हमसे बात न करो, हम बोल भी नहीं पा रहे हैं...।