आपदा में चट्टान बनी महिला शक्ति: चार अफसरों ने दिखाई अपनी संवेदनशीलता और सहनशीलता

अमर उजाला

नई दिल्‍ली

चमोली जिले में सात फरवरी को आए जल प्रलय में जब लोगों की हिम्मत जवाब देने लगी तब चार महिला अधिकारियों ने मोर्चा संभाला। बिना समय गंवाए उन्होंने राहत कार्य शुरू किए, मौके पर भी पहुंचीं और अगले कुछ दिन तक बिना किसी और बात की परवाह किए बचाव चट्टान की तरह डटी रहीं। जानिए उन्हीं की जुबानी क्या हुआ उस दिन और कैसे उन्होंने हालात संभाला...

स्वाति सिंह भदौरिया, जिलाधिकारी, चमोली

दो घंटे के भीतर आपदा स्थल पहुंची, 11 दिन वहीं डटी रही
तपोवन में जल प्रलय की सूचना मुझे सुबह 10:40 बजे मिली तो मैंने तुरंत बचाव कार्यों के लिए टीम को अलर्ट किया। हमारा लक्ष्य गांवों में लोगों को बचाना था। सूचना पाकर पांच मिनट में मैं गोपेश्वर से तपोवन के लिए निकल गई थी। दो घंटे बाद मैं मौके पर पहुंची। मेरा बेटा साढ़े तीन साल का है, जिससे मैं तीन दिन तक नहीं मिली थी, मुझे उसकी चिंता तो थी लेकिन मेरा पूरा ध्यान सुरंग में फंसे लोगों को निकालने पर था।

स्थिति जब काबू में आई तो तीन दिन बाद बेटे को जोशीमठ लेकर आई, इसके बावजूद मैं उससे सिर्फ रात को ही कुछ देरके लिए मिल पाती थी। दिन-रात घटना स्थल पर फंसे लोगों को जीवित बचाने की मुहिम में टीम के साथ डटी रही। 18 फरवरी यानी 11 दिन बाद गोपेश्वर लौटी, अभी भी मौके पर जाती हूं क्योंकि इस मिशन के कई काम बाकी हैं।

एनटीपीसी से मानचित्र मंगा समझा हालात
बागेश्वर से तपोवन तक के सफर में भी मैंने राहत और बचाव कार्य तेज करने के साथ मिशन में मदद कर रही अन्य एजेंसियों के लिए जरूरी संसाधन मुहैया कराने की व्यवस्था की। बचावकर्मियों के  तेजी से चलाए अभियान का ही नतीजा था कि दो छोटी सुरंग में फंसे 25 लोगों को जीवित बचाया गया।

मौके पर सब कुछ तबाह हो चुका था। हमने एनटीपीसी से क्षेत्र का मानचित्र मंगाया और उसकी मदद से बचाव अभियान शुरू किया, ताकि अधिक से अधिक लोगों की जान बचाई जा सके। आपदा में पुल टूटने से 13 गांवों का संपर्क टूट गया था। इन गांव के लोगों को खाद्य सामग्री और दवाएं उपलब्ध कराया ताकि उन्हें किसी तरह की परेशानी न हो।

 

प्रकाशित तारीख : 2021-03-08 09:22:00

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