आज मैप्स का इस्तेमाल हर जगह हो रहा है। आपको कहीं जाना है तो रास्ता देखने के लिए गूगल मैप्स की मदद लेते हैं। फूड डिलीवरी ऐप पर खाना ऑर्डर करते हैं या ई-कॉमर्स ऐप पर ऑर्डर करते हैं तो उसकी ट्रैकिंग मैप्स पर होती है। इसे जियोस्पेशियल (भू-स्थानिक) डेटा और सर्विसेज कहते हैं। भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने जियोस्पेशियल (भू-स्थानिक) डेटा और सेवाओं को सार्वजनिक कर दिया है।
सरकार का कहना है कि जो सर्विसेज ग्लोबल लेवल पर उपलब्ध हैं, उन्हें रेगुलेट करने की जरूरत नहीं है। विशेषज्ञ सरकार के इस फैसले को देश की मैपिंग पॉलिसी में अब तक का सबसे बड़ा बदलाव मान रहे हैं। अब तक निजी व्यक्तियों और कंपनियों को यह डेटा इस्तेमाल करने से पहले जियोस्पेशियल इंफॉर्मेशन रेगुलेशन एक्ट 2016 के तहत सरकार की अनुमति लेनी होती थी। पर अब इसकी जरूरत खत्म हो गई है। GPS के मुकाबले में इसरो के स्वदेशी नाविक (NavIC) के लॉन्च के बाद सरकार ने नेविगेशन, मैपिंग और जियोस्पेशियल डेटा पर आत्मनिर्भरता लाने के लिए बड़े सुधार किए हैं।