देवभूमि उत्तराखंड में करीब साढ़े सात साल बाद फिर से कुदरती कहर दिखा। हम आपको हादसे वाली जगह यानी चमोली जिले के रैणी गांव से ग्राउंड रिपोर्ट दे रहे हैं। यही वो जगह है, जहां ग्लेशियर टूटने से सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। चमोली के गवर्नमेंट पीजी कॉलेज के एग्जामिनेशन कंट्रोलर डॉ. अखिलेश कुकरेती और बॉटनी के प्रोफेसर डॉ. वीपी भट्ट ने भास्कर के लिए ये रिपोर्ट दी है...
ग्लेशियर टूटा, देखते ही देखते पूरा इलाका पानी-पानी हो गया
तपोवन के रैणी गांव के पास सुबह करीब साढ़े दस बजे ग्लेशियर टूटकर ऋषिगंगा नदी में गिरा। नदी के ठीक किनारे ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट का काम चल रहा है। वहीं दूसरे छोर पर रैणी गांव है। इस गांव के आस-पास रैणी चाक, लता, सुभाई, जुगाजुक्लाता गांव भी हैं।
इन गांवों में करीब दो हजार की आबादी रहती है। ग्लेशियर फटने से सबसे पहले ऋषिगंगा नदी का जलस्तर बढ़ गया। देखते ही देखते पूरा इलाका पानी-पानी हो गया। रैणी गांव में भी पानी आया, लेकिन उसका स्तर बहुत ज्यादा नहीं हुआ। इसके चलते यहां ज्यादा नुकसान भी नहीं हुआ। लेकिन ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट में काम कर रहे करीब दो सौ लोग वहीं फंस गए। इनमें मजदूर से लेकर प्रोजेक्ट के ऑफिसर भी शामिल हैं।