एक फ़रवरी को वित्त वर्ष 2021-22 का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बच्चों और महिलाओं में कुपोषण की समस्या दूर करने के लिए 2,700 करोड़ रुपए का आवंटित किए है। यह राशि वित्त वर्ष 2020-21 के बजट अनुमान, 3,700 करोड़ रुपए की तुलना में 27% कम है।
सार्वजनिक स्वास्थ्य और पोषण विशेषज्ञ बजट में की गई इस कमी से हैरान हैं। "पोषण के बजट में 27% की कमी एक भारी कटौती है," जन स्वास्थ्य अभियान, राजस्थान की सदस्य छाया पचौली ने गाँव कनेक्शन को बताया।
बजट दस्तावेज़ 2019-20 में हुए वास्तविक ख़र्चों का भी ब्योरा दिया गया है, जिसके मुताबिक उस साल पोषण 1,880 करोड़ रुपए ख़र्च किए गए थे। "इस साल का बजट ऐसा है कि कोई पिछले साल और इस साल के बजट में सीधे तौर पर तुलना नहीं कर सकता है। लेकिन यह स्पष्ट है कि पोषण योजनाओं पर 2020-21 वास्तविक सरकारी खर्च कम हुआ है," आईआईटी, दिल्ली में अर्थशास्त्र की एसोसिएट प्रोफ़ेसर, रीतिका खेड़ा ने गाँव कनेक्शन को बताया।