भारत ने कोरोना वैक्सीन लगाने की दौड़ में बड़े-बड़े देशों को पीछे छोड़ दिया है। महज 13 दिनों में देश भर में अब तक 30 लाख लोगों को वैक्सीन की डोज लग चुकी है, जबकि अमेरिका में 30 लाख लोगों को वैक्सीन लगाने में 18 दिनों का वक्त लगा था। इजरायल को इस आंकड़े तक पहुंचने में 33 दिन लगे थे। इसके अलावा ब्रिटेन को 30 लाख लोगों को वैक्सीन लगाने में 36 दिनों का लंबा वक्त लगा। खास बात ये है कि दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले भारत में काफी देर से यानी 16 जनवरी से वैक्सीनेशन का काम शुरू हुआ था। काफी कम समय में इतने सारे लोगों के वैक्सीन लगने के पीछे सबसे बड़ी वजह है स्वास्थ्य मंत्रालय का शानदार मैनेजमेंट।
इसके अलावा इसकी दूसरी सबसे बड़ी वजह है वैक्सीन को लेकर लोगों की दिलचस्पी। देश के लगभग हर सेंटर पर ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोग वैक्सीन लगाने के लिए आ रहे हैं। बता दें कि इन दिनों भारत में दो वैक्सीन लगाई जा रही है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड वैक्सीन और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी है। कई राज्यों में 2 लाख से ज्यादा लोगों को वैक्सीन की डोज लग चुकी है। कर्नाटक में 2,86,089, महाराष्ट्र में 2,20,587, राजस्थान में 2,57,833 और उत्तर प्रदेश में अब तक 2,94,959 लोगों को वैक्सीन लग चुकी है। औसतन हर रोज पांच लाख लोगों को वैक्सीन लग रही है। शुरुआत में औसतन हर रोज़ दो लाख लोगों को वैक्सीन की डोज़ लग रही थी। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक भारत ने 10 और 20 लाख लोगों को भी सबसे तेज वैक्सीन लगाने का रिकॉर्ड बनाया था। हेल्थवर्कर्स के बाद अब फ्रंटलाइन वर्कर्स का वैक्सीनेशन किया जाएगा। सरकारी अधिकारी की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार फरवरी के पहले सप्ताह में फ्रंटलाइन वर्कर्स का टीकाकरण शुरू होगा।
फ्रंटलाइन वर्कर्स को देश भर में स्थापित 3,006 से अधिक टीकाकरण स्थलों पर वैक्सीन दी जाएगी। वैक्सीन के लिए शुरुआत में स्वास्थ्यकर्मियों, फ्रंटलाइन वर्कर्स और 50 साल से अधिक आयु के लोगों को प्राथमिकता दी गई है। इसके अलावा गंभीर बीमारी से ग्रस्त लोगों को भी शुरुआती चरण में वैक्सीन दी जाएगी। अंत में वैक्सीन की उपलब्धता के आधार पर शेष आबादी को वैक्सीन दी जाएगी।