भारत और इंग्लैंड के बीच पांच फरवरी से चार टेस्ट मैचों की सीरीज शुरू हो रही है। पहला मुकाबला चेन्नई के एमए चिदंबरम स्टेडियम में खेला जाएगा। 10 महीने 26 दिन के बाद भारत में कोई इंटरनेशनल क्रिकेट मैच खेला जाएगा। यह पिछले 28 साल में देश में दो इंटरनेशनल मैचों के बीच सबसे लंबा गैप होगा।
भारत में आखिरी इंटरनेशनल मैच 10 मार्च, 2020 को ग्रेटर नोएडा में आयरलैंड और अफगानिस्तान के बीच खेला गया था। इसके बाद कोरोना के कारण यहां कोई मुकाबला नहीं हुआ।
नवंबर-91 से जनवरी-93 के बीच नहीं हुए थे मैच
भारत में दो अंतरराष्ट्रीय मैचों में बीच इससे लंबा गैप आखिरी बार 14 नवंबर 1991 से 16 जनवरी 1993 के बीच रहा था। यानी तब एक साल, दो महीने और तीन दिन के बाद देश में इंटरनेशनल मैच की वापसी हुई थी।
सबसे लंबे गैप का रिकॉर्ड 14 साल, नौ महीने का
देश में दो इंटरनेशनल मैचों के बीच सबसे लंबे गैप का रिकॉर्ड 14 साल,नौ महीने का है। भारत ने 10 फरवरी, 1934 से इंग्लैंड के खिलाफ चेन्नई में शुरू हुए टेस्ट के बाद घर में अगला मैच 10 नवंबर, 1948 को दिल्ली में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेला था। इस गैप के पीछे भारत के स्वतंत्रता आंदोलन और दूसरे वर्ल्ड वॉर का अहम योगदान था।
23 बार दो मैचों के बीच 10 महीने से ज्यादा का गैप
देश में पहले इंटरनेशनल मैच के आयोजन के बाद अब तक कुल 23 ऐसे मौके आए हैं जब दो मुकाबलों के बीच 10 महीने या इससे ज्यादा का गैप रहा है। वहीं, एक साल से ज्यादा के गैप की बात करें तो ऐसा 15 बार हो चुका है। 70 की दशक से पहले तक सिर्फ टेस्ट मैच होते थे। लिहाजा तब दो इंटरनेशनल मैचों के बीच अंतर भी ज्यादा होते थे।
कम टीम होने के कारण भी ज्यादा गैप
साउथ अफ्रीकी टीम में नस्लभेदी रुख के कारण भारत का दौरा नहीं करती थी। वास्तव में साउथ अफ्रीकी टीम ऐसी किसी भी टीम के खिलाफ नहीं खेलती थी, जिसमें एक भी अश्वेत खिलाड़ी शामिल हो। इस कारण 1970 में दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट टीम पर 21 साल का बैन लगा दिया गया।
इसलिए 1991 तक सिर्फ 6 टेस्ट टीमें इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, वेस्टइंडीज, न्यूजीलैंड, श्रीलंका और पाकिस्तान ही भारत का दौरा करती थी। 1991 में साउथ अफ्रीका के ऊपर लगा बैन समाप्त हुआ और 1992 में जिम्बाब्वे को भी टेस्ट का दर्जा मिल गया। इसके बाद भारत में भी विदेशी टीमों के दौरे बढ़ गए।