मैं मानव हूँ मानवता के गीत सुनाया करता हूँ।
नफरत दूर भगाकर दिल में प्रेम जगाया करता हूँ।।
मानवता है मूल हमारा,
सृष्टि का आधार यही।
परोपकार परमार्थ पुण्य,
धर्म-कर्म का सार यही।।
जीव जगत का छुपा इसमें हित बतलाया करता हूँ।
मैं मानव हूँ मानवता के गीत सुनाया करता हूँ।।
मानव ऊपर सृष्टि की सब,
जिम्मेदारी होती है।
मानव की हर क्रिया जग मे,
सर्वहितकारी होती है।।
मानव जीवन का उद्देश्य याद दिलाया करता हूँ।
मैं मानव हूँ मानवता के गीत सुनाया करता हूँ।।
त्याग समर्पण और सेवा,
मानवता के लक्षण है।
आपसी सहयोग मांगती,
मानवता हर क्षण है।।
"विश्वबंधु" मानवता के फर्ज निभाया करता हूँ।
मैं मानव हूँ मानवता के गीत सुनाया करता हूँ।।