राम का राज्य, हनुमान की जीत !

बाप रे !
पूरी दिल्ली देशद्रोही !

दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम ने यह दिखा दिया है कि प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री शाह अजेय नहीं हैं। दूसरी बात मतलब मतदाता बेईमान नहीं हैं। धर्म का बवंडर पैदा किया जाता है, उसमें वे बहते नहीं हैं। राम श्रद्धा की जीत हैं ही लेकिन कुछ विजय हनुमान भी दिलाते हैं। दिल्ली में ऐसा ही हुआ।

लोकसभा चुनाव में मजबूत और अभेद्य रही भारतीय जनता पार्टी विधानसभा चुनाव में ताश के पत्तों से बने बंगले की तरह धराशायी हो जाती है, ऐसा दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम ने स्पष्ट कर दिया। भारतीय जनता पार्टी अजेय नहीं है और मोदी-शाह के कारण चुनाव जीता जा सकता है, इस दंतकथा से लोगों को अब तो बाहर निकलना चाहिए। दिल्ली विधानसभा के लिए जब मतदान शुरू हुआ तब मैं दिल्ली में था। संसद का अधिवेशन शुरू था। ‘किसी भी हाल में भाजपा को ४५ सीटें मिल रही हैं केजरीवाल की पराजय निश्चित है।’ ऐसा सेंट्रल हॉल में भाजपा के नेता कहते थे। इस पर ‘ईवीएम कब्जे में कर लें तभी दिल्ली में केजरीवाल पराजित होंगे’, ऐसा कहनेवाले पत्रकार भी वहां थे।

हम बहुमत का आंकड़ा पार करेंगे, ऐसा विश्वास खुद श्री मोदी व श्री शाह को था। लेकिन वास्तव में मोदी और शाह की भाजपा दस की संख्या भी पार नहीं कर सकी। एकमुश्त ६२ सीटें जीतकर केजरीवाल ने बड़ी जीत हासिल की। दिल्ली विधानसभा का चुनाव परिणाम घोषित हुआ तब मैं उजबेकिस्तान में उतरा था। ताशकंद हवाई अड्डे के बाहर वहां १५ वर्षों से रहनेवाले दो हिंदुस्थानी मिले, ‘भाजपा का गुब्बारा फूटने की शुरुआत अब हो गई है। प्रभु श्रीराम भी उनकी मदद करने को तैयार नहीं हैं।’ ऐसा विदेशी धरती पर रहनेवाले हिंदुस्थानी कहते हैं, तब आश्चर्य नहीं होता है।

प्रकाशित तारीख : 2020-02-16 23:09:40

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