30 साल की कामिनी कुमारी के लिए पिछले पांच दिन से रात का ठिकाना पटना जंक्शन का प्लेटफॉर्म है और दिनभर वह जंक्शन से करीब 3 किलोमीटर दूर गर्दनीबाग में धरना देती हैं। कामिनी 18 जनवरी को ही मुजफ्फरपुर से आई हैं और तब से पटना में ही हैं। उन्होंने गांव कनेक्शन को बताया, "मेरे दो बच्चे हैं। दोनों को घर पर छोड़कर यहां रह रहे हैं। पुलिस ने सुबह 10 बजे से शाम चार बजे तक ही धरने पर बैठने की इजाजत दी है, इसलिए शाम को पटना जंक्शन पर चले जाते हैं।
रात में प्लेटफॉर्म पर ही सोते हैं और सुबह में फिर गर्दनीबाग आ जाते हैं।" कामिनी, बिहार टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (बीटीईटी)/ सेंट्रल टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (सीटीईटी) उत्तीर्ण कर नियुक्ति पत्र की राह देख रहे हजारों अभ्यर्थियों में से एक हैं, जो बिहार सरकार की तरफ से शुरू की गई प्रारंभिक (प्राइमरी) शिक्षक नियोजन प्रक्रिया से गुजर चुके हैं और नियोजन प्रक्रिया में पास कर चुके अभ्यर्थियों की मेरिट लिस्ट भी जारी हो चुकी है।
लेकिन, अब सरकार काउंसलिंग कर इन्हें नियुक्ति पत्र नहीं दे रही है। बिहार सरकार ने साल 2019 में 94,000 प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति का फैसला लिया था और पिछले साल इन पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू की थी, जो इस साल जनवरी के पहले हफ्ते में खत्म हो चुकी है। प्राथमिक शिक्षकों की नौकरी के इच्छुक अभ्यर्थियों के लिए संबंधित राज्यों में होने वाली टीईटी परीक्षा या सीटीईटी की परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य है। 45 प्रतिशत अंकों के साथ माध्यमिक परीक्षा उत्तीर्ण, स्नातक (आर्ट/साइंस) या बीएड (बैचलर इन एजुकेशन) कर चुके लोग इस परीक्षा की पात्रता रखते हैं।
जब सरकार प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति के लिए वैकेंसी निकालती है, तो टीईटी की परीक्षा ली जाती है। धरना दे रहे इन अभ्यर्थियों का आरोप है कि काउंसलिंग कर नियुक्ति पत्र देने में सरकार विलम्ब कर रही है। नियुक्ति पत्र देने की मांग पर मेरिट लिस्ट में शामिल अभ्यर्थी 18 जनवरी से धरना दे रहे हैं। इस धरने में महिलाएं भी शामिल हैं। कई महिलाएं तो बच्चों को साथ लेकर धरना देने आई हुई हैं। कामिनी भी धरना देने वाली महिलाओं में से एक है। कामिनी के लिए ये नौकरी काफ़ी मायने रखती है।