पंजाब की एकजुटता! महाराष्ट्र कब दिखाएगा?

सामना

नई दिल्‍ली

कड़ाके की ठंड के बावजूद पंजाब के किसानों ने मोदी सरकार के पसीने छुड़ा दिए हैं। आंदोलन पीछे लेने की बात छोड़ो, बल्कि वह अधिक उग्र और तेज होता दिख रहा है। किसानों के आंदोलन को बदनाम करने के लिए मुहिम चलाई गई, लेकिन यह भाजपा के ‘आईटी’ सेल पर ही उलट गई। विगत ६ वर्षों में सुपरमैन मोदी सरकार के लिए इतनी भयंकर अड़चन और फजीहत पहले कभी नहीं हुई थी। प्रधानमंत्री व गृहमंत्री अमित शाह के एक हाथ में जादू की छड़ी और दूसरे हाथ में चाबुक है। वे किसी को भी झुका सकते हैं। इस गलतफहमी को पंजाब के किसानों ने झूठा साबित कर दिया। अच्छा है, यहां सरकार के हमेशा के हथियार मतलब सीबीआई, इनकम टैक्स, ईडी, मादक पदार्थ विरोधी विभाग की कुछ नहीं चलती। बल्कि, पंजाब के लाखों किसानों ने ही मोदी सरकार को नोटिस भेजकर ‘पीछे हटो अन्यथा कुर्सी खाली करो’ ऐसा संदेश भेजा है। दिल्ली को तो किसानों ने जकड़ा ही है, परंतु केंद्र सरकार को घुटने के बल ला दिया है।

‘हम करें सो’ कायदा नहीं चलेगा। मोदी सरकार के तीन विवादित कृषि कानून रद्द करो, ऐसी किसानों की मांग है। मोदी सरकार ने आंदोलनकारी किसान नेताओं को चर्चा के लिए बुलाया व कृषि कानून कैसे शक्कर की चाशनी में डुबाकर बाहर निकाला है, इसका नमूना दिखाया। परंतु किसान नेता सरकार की चाय-पानी पीये बगैर ही बैठक से निकल गए। मोदी सरकार ने अन्यायकारी नोटबंदी पचाकर डकार ले ली। जीएसटी के जरिए किया गया सत्यानाश पचा लिया। बेरोजगारी, महंगाई पर हिंदू-मुसलमान फसाद, हिंदुस्थान-पाकिस्तान का तोड़ पेश किया। लॉकडाउन से आजिज आ चुकी जनता को अयोध्या में राम मंदिर का झुनझुना दिया। परंतु पंजाब के किसानों के सामने उनका कोई भी ‘लॉलीपॉप’ नहीं चला। यह यश पंजाब की एकजुटता में है। भाजपा की सायबर फौज ने किसानों की एकजुटता में फूट डालने की हरसंभव कोशिश की। हरियाणा की सीमा पर बुजुर्ग किसानों को पुलिस द्वारा पीटे जाने की तस्वीरें राहुल गांधी द्वारा ट्वीटर पर डालते ही भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने राहुल गांधी झूठे वैâसे हैं और उन्होंने फर्जी तस्वीरें डाली हैं, ऐसा शोर मचाया।

‘हिंदुस्थान के सर्वाधिक बदनाम विपक्षी नेताओं में से एक’ ऐसे राहुल गांधी का उल्लेख करते ही ट्वीटर ने मालवीय को वास्तविक स्थिति का एहसास करा दिया और किसानों को पुलिस द्वारा पीटे जाने का वीडियो ही प्रसारित कर दिया। भाजपा का आईटी सेल इससे मुंह के बल गिर गया। दूसरा मामला मुंबई को पाक अधिकृत कश्मीर कहनेवाली भाजपा की बकवास करनेवाली अभिनेत्री का। किसान आंदोलन में भाग लेनेवाली एक वृद्ध ‘चाची’ को इस अभिनेत्री ने १०० रुपए रोजाना पर काम करनेवाली ‘शाहीन बाग वाली ‘आंटी’ ठहराया। यह प्रकरण भी फर्जी साबित हुआ और उस बकवास करनेवाली अभिनेत्री को पीछे हटना पड़ा। इतना ही नहीं, उस बुजुर्ग दादी ने इस अभिनेत्री को खरी-खरी भी सुनाई। ‘हमारी सौ एकड़ जमीन है और यह अभिनेत्री मेरे खेत में काम करे, मैं इसे ६०० रुपए देती हूं। वह कपास की एक बोरी उठाकर दिखाए।’ ऐसे शब्दों में उस दादी ने बकवास करनेवाली अभिनेत्री को उसकी हैसियत दिखा दी। ऐसे ही कई प्रकरण रोज ही किसान आंदोलन के मामले में सामने आ रहे हैं। सरकार व भाजपा के सायबर फौजियों की हाथ सफाई का भंडाफोड़ हो रहा है।

‘मोदी हैं तो मुमकीन है’ इस उद्घोष की धज्जियां उड़ती दिख रही हैं। अमित शाह ने बार-बार आंदोलनकारियों से पीछे हटने का आह्वान किया। अंतत: पंजाब के मुख्यमंत्री वैâ. अमरिंदर को चर्चा से रास्ता निकले, इसके लिए दिल्ली जाना पड़ा। हम इस आंदोलन की एकजुटता का बार-बार उल्लेख करते हैं क्योंकि एकजुटता ही बड़ी सफलता है। पंजाब के सभी गायक, कलाकार, खिलाड़ी ने अपने राष्ट्रीय पुरस्कार केंद्र को वापस लौटाने का निर्णय लिया है और भाजपा वाले खिल्ली उड़ाते हैं, वैसी यह कोई पुरस्कार वापसी गैंग नहीं है। पद्मश्री, पद्मभूषण, अर्जुन पुरस्कार लौटाकर भी ये लोग किसान आंदोलन को समर्थन दे रहे हैं। अब तो अकाली दल के सर्वेसर्वा, वरिष्ठ नेता तथा पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने भी नए कृषि कानून और किसानों के खिलाफ की गई कार्रवाई के निषेध के रूप में ‘पद्मविभूषण’ पुरस्कार लौटा दिया है। राष्ट्रपति को तीन पन्नों का पत्र लिखकर उन्होंने अपनी संतप्त भावना व्यक्त की है। हम प्रकाश सिंह बादल सहित इन तमाम कलाकारों, खिलाड़ियों का अभिनंदन करते हैं। हमारा किसान नहीं जीएगा तो यह पुरस्कार छाती पर सजाकर क्या करें? किसानों की आवाज दिल्लीश्वर नहीं सुनते होंगे तो हमें आपके पुरस्कार नहीं चाहिए। धन्य वो कलाकार, धन्य वो खिलाड़ी! महाराष्ट्र में इस एकजुटता का दर्शन कब होगा?

संयुक्त महाराष्ट्र की लड़ाई में पंडित नेहरू के मुंह पर वित्त मंत्री पद का इस्तीफा फेंकनेवाले चिंतामण राव देशमुख दोबारा इस मिट्टी से नहीं जन्में। महाराष्ट्र पर ऐसे कई अवसर आए और गए लेकिन पंजाब के खिलाड़ी, कलाकारों की तरह कितने ‘मराठी’ बुद्धिजीवी महाराष्ट्र के सवाल पर एकजुटता के साथ खड़े रहे? एकदम कल ही उस भाजपा समर्थित अभिनेत्री का मामला ले लो। मुंबई को पाकिस्तान कहने तक दुस्साहस कर गई। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुंबई में आकर गड़बड़ी करते हैं परंतु पुरस्कार वगैरह वापस लौटाने की बात एक तरफ छोड़ दो, साधारण निषेध के सुर भी किसी ने नहीं निकाले। कहने के लिए कुछ लोगों ने भूमिका अपनाई। पंजाब जैसी एकजुटता कहीं नहीं दिखी। आज पंजाब के किसानों की एकजुटता को वैश्विक स्तर पर गंभीरता से लिया जा रहा है। दुनियाभर के राष्ट्र प्रमुख पंजाब के किसानों के आंदोलन पर मत प्रदर्शन कर रहे हैं। इस प्रकरण में मोदी सरकार के लिए अवरोध उत्पन्न होने की बात से हमें खुशी नहीं हुई है। परंतु किसानों की अब तो सुन लो, इतनी ही मांग है! आज पंजाब उबल रहा है, कल पूरा देश गरमा गया तो क्या होगा?

प्रकाशित तारीख : 2020-12-04 11:11:00

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