लेह के राजनीतिक प्रतिनिधियों ने लेह-लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद (एलएएचडीसी) चुनाव के बहिष्कार की घोषणा वापस ले ली है।
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने रविवार को बताया कि केंद्र सरकार लद्दाख के लोगों की मांगों पर विचार करते हुए उन्हें संविधान की छठी अनुसूची के तहत संरक्षण मुहैया करवाने के लिए खुली चर्चा को तैयार है। वर्तमान परिषद का पांच साल का कार्यकाल 2 नवंबर को पूरा होगा, 16 अक्तूबर को चुनाव हैं।
किरेन रिजिजू ने पत्रकारों को बताया कि पिछले वर्ष संसद ने लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बनाने का ऐतिहासिक निर्णय लिया था। इसके बाद लद्दाख के लोगों ने अपनी भाषा, आबादी, जातीयता, भूमि व रोजगार के संरक्षण के लिए सांविधानिक प्रावधानों की मांग रखी।
इसी को लेकर उन्होंने चुनाव बहिष्कार की घोषणा की थी। उनके प्रतिनिधि के रूप में तीन सदस्यीय मंडल ने शनिवार को गृहमंत्री अमित शाह, गृहराज्यमंत्री जी किशन रेड्डी और युवा मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू से बातचीत की।
रिजिजू के अनुसार गृहमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया कि भारत सरकार एलएएचडीसी को सशक्त करने और यहां के नागरिकों के हित संरक्षित रखने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए सभी प्रयास होंगे।
इसके बाद मंडल ने चुनाव बहिष्कार वापस लेते हुए इसे सफल बनाने में पूरे सहयोग का वादा किया है। यह मंडल लद्दाख के सांविधानिक संरक्षण के लिए जनआंदोलन संगठन का सर्वोच्च प्रतिनिधि है। इसमें लदाख के पूर्व सांसद थिक्से रिनपोछे, थिपुस्तान छवांग और पुराने जम्मू-कश्मीर राज्य की पीडीपी-भाजपा सरकार में मंत्री रहे छेरिंग दोर्जे लकरू शामिल हैं।