"जब मैं अपनी बेटी को संगीत की कक्षा में ले गई, तो शिक्षक ने बताया कि कुछ ही समुदाय के लोगों में संगीत सीखने की क़ाबिलियत होती है और उसके बाद उन्होंने हमारी जाति के बारे में पूछा."
"दलित पुजारी क्यों नहीं हो सकते? जब मैंने यह सवाल सवर्ण समुदाय के एक दोस्त से पूछा और कहा कि किसी को मंदिर में प्रवेश से रोकना ठीक नहीं है, तो मेरे उस दोस्त ने कहा कि ब्राह्मण तेज़ बुद्धि वाले और स्वच्छ होते हैं. उसके मुताबिक़ दलित साफ़-सफ़ाई से नहीं रहते हैं, नियमित नहाते नहीं हैं, इसलिए वे केवल टॉयलेट साफ़ करने के लिए उपयुक्त होते हैं."
ये कुछ उदाहरण भर हैं, उन 60 गवाहियों में से जो अमरीका में रहने वाले भारतीयों ने दर्ज कराए हैं. अमरीका स्थित आंबेडकर किंग स्टडी सर्किल (एकेएससी) ने दो से तीन सप्ताह के बीच 60 लोगों के अनुभवों को एकत्रित किया है.
कैलिफ़ोर्निया के डिपार्टमेंट ऑफ़ फ़ेयर इंप्लायमेंट और हाउसिंग ने टेक्नालॉजी की दुनिया की बड़ी कंपनी सिस्को में एक दलित कर्मचारी के साथ जातिगत भेदभाव करने के चलते 30 जून को मुक़दमा दर्ज कराया है. इसके एक दिन बाद 60 लोगों के अनुभवों को प्रकाशित किया गया है.
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आंबेडकर किंग स्टडी सर्किल ने अपने दस्तावेज़ों में आरोप लगाया है कि सिस्को कोई भी क़दम उठाने में नाकाम रही, जो जाति, स्टेटस, अनुष्ठानिक शुद्धता और सामाजिक बहिष्कार के आधार पर असमानता को दूर करने में सफल होती.