कांग्रेस में पीढ़ियों का संघर्ष होना ही है क्योंकि पुरानी पीढ़ी के नेता अपना वर्चस्व छोड़ना नहीं चाहते और नई पीढ़ी के लोगों को आत्मावलोकन व कड़ी मेहनत करने की कड़वी डोज पिलाते रहते हैं. युवाओं का असंतोष राख में दबी चिनगारी के समान है जो हवा लगते ही भड़क सकता है. जब पुराने नेताओं से हालात संभल नहीं रहे हैं तो पार्टी की कमान अगली पीढ़ी को क्यों नहीं सौंपी जाती? इसमें कोई हिचक क्यों होनी चाहिए? लोकसभा चुनाव में करारी हार का तनाव कम नहीं था कि मध्यप्रदेश में भी हाथ से सत्ता निकल गई. इसके अलावा राजस्थान में गहलोत विरुद्ध सचिन पायलट के टकराव से उपजा संकट चल ही रहा है. ऐसी परिस्थिति में सोनिया गांधी द्वारा बुलाई गई राज्यसभा के कांग्रेस सांसदों की वर्चुअल बैठक में गरमा-गरमी होना स्वाभाविक ही था. इससे पता चलता है कि कांग्रेस के युवा नेता अब बुजुर्गों की बिन मांगी नसीहत सुनने को बिल्कुल भी तैयार नहीं हैं. वरिष्ठ नेताओं के रवैये से युवाओं का भड़कना स्वाभाविक है.
कपिल सिब्बल को राजीव सातव का तीखा जवाब
पूर्व केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने चुनाव में पार्टी की पराजय पर ऊपर से नीचे तक आत्मावलोकन की आवश्यकता पर जोर दिया. इस पर राहुल गांधी के निकट समझे जाने वाले राज्यसभा के नवनिर्वाचित सदस्य 46 वर्षीय राजीव सातव ने मुंहतोड़ जवाब देते हुए कहा कि आत्मनिरीक्षण की शुरुआत घर से होनी चाहिए. हर तरह से आत्मनिरीक्षण करें लेकिन हम 44 पर कैसे आए, इस पर भी गौर किया जाना चाहिए. हम 2009 में 200 से अधिक थे. सबसे पहले आत्मपरीक्षण 2009 से 2014 तक होना चाहिए. आप सभी तब मंत्री थे. सच कहूं तो यह भी देखा जाना चाहिए कि आप कहां असफल रहे? आपको यूपीए-2 की अवधि से आत्मपरीक्षण करना होगा. राजीव सातव के यह आलोचनात्मक उद्गार दिखाते हैं कि कांग्रेस के पुराने व नए नेताओं के बीच विश्वास का संकट व्याप्त है. राजीव सातव गुजरात के एआईसीसी प्रभारी व कांग्रेस कार्य समिति के स्थायी आमंत्रित सदस्य हैं. उन्होंने पार्टी के तमाम बड़े नेताओं की मौजूदगी में अपनी बात कही.