महाराष्ट्र सरकार ने कोकण के सर्वांगीण विकास के लिए गत दिनों कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर काम शुरू किया है। जिनमें से बेहद महत्वपूर्ण दो परियोजनाओं में पहला ५०० किमी लंबा कोकण मरीन हाई-वे यानी कि सागरी महामार्ग है, तो दूसरा उतना ही लंबा कोकण ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे। ये दोनों परियोजनाएं कोकण की तस्वीर ही बदलकर रख सकती हैं। सरकार द्वारा कोकण के मरीन हाई-वे के लिए इस वित्तीय वर्ष में जहां ३,५०० करोड़ की राशि आवंटित की गई है, तो वहीं ५०० किमी लंबे प्रस्तावित ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे का वाइबिलिटी टेस्ट शुरू हो चुका है।
महाराष्ट्र स्टेट रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन को इसके तकनीकी और आर्थिक पहलुओं पर स्टडी करने के लिए कहा गया है। ये दोनों परियोजनाएं न केवल कोकण, बल्कि संपूर्ण महाराष्ट्र के लिए गेम चेंजर साबित हो सकती हैं, जिससे राज्य में बड़े पैमाने पर रोजगार और विकास के रास्ते खुल सकते हैं। ये परियोजनाएं पर्यावरण व पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे के कोकण पर्यटन को प्राथमिकता देने के संकल्प का भी पुख्ता प्रमाण हैं।
हिंदुस्थान को ५ ट्रिलियन इकोनॉमी बनाने का दावा करना और उसे उस दिशा में ले जाने के लिए सटीक योजना बनाकर जमीनी स्तर पर काम शुरू कर देना, दोनों ही अलग-अलग मुद्दे हैं। जहां तक महाराष्ट्र सरकार का सवाल है, तो उसने इस दिशा में काम शुरू कर दिया है।
इसके लिए सरकार ने पर्यटन विकास पर विशेष ध्यान केंद्रित कर उसके लिए असीम संभावनाओं वाले कोकण क्षेत्र के इन्प्रâास्ट्रक्चरल डेवलपमेंट के रोडमैप पर काम शुरू किया है। अपनी खूबसूरत वादियों, समुद्री तटों, संस्कृति, खानपान और अनेक विश्व प्रसिद्ध वस्तुओं के लिए मशहूर कोकण में पर्यटन विकास और शीघ्र व्यापार की अथाह संभावनाएं हैं, जिन पर कभी गंभीरता से काम ही नहीं हो सका।
गत पांच-छह दशकों में कोकण पर किसी सरकार ने अपेक्षित ध्यान नहीं दिया, पर्याप्त मूलभूत निवेश नहीं किया। कोकण के पर्यटन को बढ़ावा देना है, तो कोस्टल या मरीन हाई-वे, एक्सप्रेस-वे, समुद्री यातायात, हवाई अड्डे जैसे पर्यायी मार्गों को खोलना और पर्यटन की दृष्टि से होटल इत्यादि का आवश्यक जाल बनाना बेहद जरूरी है। आज पहली बार कोकण को लेकर एक दीर्घकालीन नीति के तहत काम शुरू हुआ है।