चीन का शातिर दिमाग लोमड़ी के दिमाग से भी ज्यादा खतरनाक है। एक तरफ चीन भारत से गलवान विवाद खत्म करने और सीमा पर शांति बनाए रखने का ढोंग कर रहा है तो दूसरी ओर कभी युद्धाभ्यास तो कभी नये हथियारों की प्रदर्शनी कर परोक्ष बंदर घुड़की देता दिखाई दे रहा है। हालांकि भारतीय सेना और उसके हथियार चीन की सेना और उसके हथियारों से कहीं बेहतर हैं लेकिन इस तरह की हरकतों से चीन पर विश्वास करना कठिन माना जा रहा है।
चीनी सरकार के मुखपृष्ठ ग्लोबल टाइम्स ने एक वीडियो क्लिप शेयर की है। इस क्लिप में नये युद्धक टैंकों को दिखाया गया है। इन टैंकों की ब्रिगेड को पीएलए की 81वें ग्रुप में शामिल किया गया है। ऐसा कहा जाता है कि भारत का मुख्य युद्धक टैंक ‘भीष्म’ है। इस टैंक को मैदानी लड़ाई का विश्वविजेता माना जाता है। इस टैंक की खासियत है कि यह टैंक नदी-नाले हों या मरुस्थल यह सभी जगह उसी गति और क्षमता से दुश्मन पर प्रहार करता है जैसा मैदानी इलाकों करता है। ऐसा कहा जाता है कि ‘भीष्म’ ब्रिगेड को सामने देख दुश्मनों में खलबली मच जाती है। दुश्मन बिना लड़े ही मैदान छोड़कर भागने लगता है। चीन का यह टैंक तो इंडियन आर्मी के अर्जुन से भी कम क्षमता का है।
बहरहाल, चीन ने नये युद्धक टैंक की प्रदर्शनी तो जरूर की है लेकिन यह ऐलान नहीं किया है कि यह उसका मुख्य युद्धक टैंक है या नहीं। फिर भी चार-चार मोर्चों पर फंसे हुए चीन के सामने अपने देश की जनता का भरोसा कायम रखना भी है। कोरोना वायरस के कारण चीन की आर्थिक दशा काफी खराब है। हालांकि चीन हमेशा यह कहता रहा है कि वो कोरोना से उबर चुका है और उसकी अर्थव्यवस्था पटरी पर आ चुकी है। लेकिन अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों और ऐजेंसियों का कहना है कि चीन के आर्थिक आंकड़े विश्वसनीय नहीं हैं। इन परिस्थितियों में चीन की कम्युनिस्ट सरकार के सामने विश्वसनीयता का संकट भी है। अपने जनता और आर्मी दोनों का ध्यान बंटाने के लिए युद्ध जैसा माहौल बनाये रखना चीनी राष्ट्रपति और पीएलए के मुखिया शी जिनपिंग की मजबूरी है।