भारत से मधुर संबंध रखने वाला नेपाल एकाएक भड़क उठा और उत्तराखंड के तीन इलाकों पर अपनी दावेदारी जताने लगा. यहां तक कि नेपाल के पीएम ने नागरिकता कानून में बदलाव की बात की, जिससे भारतीय बहुओं को नेपाल की नागरिकता देर से मिले. नेपाल के इस बदले रवैये के पीछे चीन का कूटनीतिक दिमाग माना जा रहा है. नेपाल में चीनियों की बढ़ती आवाजाही और चीनी राजदूत की नेपाल की राजनीति में सीधे दखल से इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. वैसे नेपाल में चीन का दखल समझना हो तो एक और बात मदद कर सकती है, वो है यहां के स्कूलों में चीनी भाषा सीखना अनिवार्य किया जाना.
क्या कहता है नेपाल का करिकुलम
नेपाल में करिकुलम डेवलपमेंट सेंटर (CDC) सरकारी संगठन है, जो तय करता है कि नेपाल में स्कूल्स चाहें तो कोई भी फॉरेन लैंग्वेज सिखा सकते हैं. लेकिन इसमें ये भी साफ है कि कोई भी विदेशी भाषा किसी बच्चे के लिए अनिवार्य नहीं की जा सकती. ऐसे में नेपाल के ख्यात स्कूलों में चीनी भाषा की अनिवार्यता कई सवाल उठाती है. ऐसी क्या बात है कि नेपाल में इस विदेशी भाषा को सीखना जरूरी कर दिया गया?